केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने इस बात का विशेष उल्लेख किया कि भारत दुनिया भर में ख्याति प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों की बदौलत जीडीपी और आर्थिक व्यापार दोनों ही लिहाज से विश्व स्तर पर उल्लेखनीय योगदान करता था, अब इस स्थिति को ही दोबारा पाना चुनौती होगी। इसलिए जरूरी है कि शिक्षा का स्तर ऊंचा हो। उन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता एवं शिक्षण से जुड़े परिणामों में बेहतरी पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत को रेखांकित किया।
इस मौके पर केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री ने कहा कि कौशल एवं शिक्षा को कुछ इस तरह से आपस में एकीकृत करने की चुनौती हमारे सामने है, जिससे पहले से ही सृजित किए जा चुके शैक्षणिक ढांचे का अधिकतम इस्तेमाल कौशल आधारित शिक्षा प्रदान करने में किया जा सके। केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री ने विशेष जोर देते हुए कहा कि खेल एवं शिक्षा को निश्चित तौर पर आपसी तालमेल के साथ आगे बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि इससे बच्चों की शारीरिक फिटनेस बेहतर होगी।
राज्यों के शिक्षा मंत्रियों और केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) के सदस्यों ने इस बैठक में हुई चर्चाओं में सक्रिय रूप से भाग लिया। शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत ‘अनुत्तीर्ण न करने के प्रावधान’ की स्थिति पर केब की उपसमिति की रिपोर्ट राजस्थान के शिक्षा मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने पेश की। बैठक में लिए गए निर्णयों में अप्रशिक्षित शिक्षकों एवं अनुत्तीर्ण न करने की नीति (नो डिटेंशन पॉलिसी) के विशेष उद्धरण के साथ शिक्षा के अधिकार पर चर्चा की गई। यह चिंता का मुद्दा है कि अध्ययन परिणामों में गिरावट आ रही है। बैठक इस पर सहमति जताई गई कि अध्ययन परिणामों को संहिताबद्ध किया जाएगा और इसे शिक्षा के अधिकार नियमों का एक हिस्सा बनाया जाएगा। अध्ययन परिणामों में सुधार लाने के लिए सभी हितधारकों को जवाबदेह बनाया जाएगा।अगले पांच वर्षों के भीतर अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण का कार्य पूरा हो जाना चाहिए।