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गुरु तेग बहादुर का प्रकाश पर्व: औरंगजेब का जिक्र कर बोले PM मोदी- 'देश में आई थी मजहबी कट्टरता की आंधी, चट्टान की तरह खड़े रहे हमारे गुरु'

गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से देश के नाम संबोधन...
गुरु तेग बहादुर का प्रकाश पर्व: औरंगजेब का जिक्र कर बोले PM मोदी- 'देश में आई थी मजहबी कट्टरता की आंधी, चट्टान की तरह खड़े रहे हमारे गुरु'

गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से देश के नाम संबोधन किया। औरंगजेब का जिक्र कर पीएम ने कहा कि एक समय देश में मजहबी कट्टरता की आंधी आ गई थी, तब गुरु तेग बहादुर ने आगे आकर सभी को सही राह दिखाई थी। वे मजहबी कट्टरता की आंधी में चट्टान की तरह डटे रहे थे। इस किले ने गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को भी देखा है और देश के लिए मरने-मिटने वाले लोगों के हौसले को भी परखा था।

पीएम मोदी ने कहा है कि देश निष्ठा के साथ गुरुओं के आदर्शों पर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि आज पूरा देश एकजुट होकर इस पर्व पर साथ आया है, सभी एक ही संकल्प को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले 2019 में हमें गुरुनानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व और 2017 में गुरु गोबिंद सिंह जी का 350वां प्रकाश पर्व मनाने का भी अवसर मिला था।  मैं इसे हमारे गुरूओं की विशेष कृपा मानता हूं। इस पुण्य अवसर पर सभी दस गुरुओं के चरणों में नमन करता हूं. आप सभी को, सभी देशवासियों को और पूरी दुनिया में गुरुवाणी में आस्था रखने वाले सभी लोगों को प्रकाश पर्व की हार्दिक बधाई देता हूं.।

पीएम कहा कि ये भारतभूमि, सिर्फ एक देश ही नहीं है बल्कि हमारी महान विरासत है, महान परंपरा है. इसे हमारे ऋषियों, मुनियों, गुरुओं ने सैकड़ों- हजारों सालों की तपस्या से सींचा है, उसके विचारों को समृद्ध किया है. उस समय भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेग बहादुर जी के रूप मे मिली थी। उन्होंने कहा कि 'सैकड़ों काल की गुलामी से मुक्ति को, भारत की आजादी को, भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक यात्रा से अलग करके नहीं देखा जा सकता, इसलिए आज देश आजादी के अमृत महोत्सव को और गुरु तेग बहादुर साहिब के 400वें प्रकाश पर्व को एक साथ मना रहा है.।

पीएम मोदी ने कहा, ''गुरु तेग बहादुर जी के अमर बलिदान का प्रतीक गुरुद्वारा शीशगंज साहब भी है। ये पवित्र गुरुद्वारा हमें याद दिलाता है कि हमारी महान संस्कृति की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान कितना बड़ा था। उस समय देश में मजहबी कट्टरता की आंधी आई थी। धर्म को दर्शन, विज्ञान और आत्मशोध का विषय मानने वाले हमारे हिंदुस्तान के सामने ऐसे लोग थे, जिन्होंने धर्म के नाम पर हिंसा और अत्याचार की पराकाष्ठा कर दी थी। उस समय भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेग बहादुर जी के रूप में दिखी थी। औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेग बहादुर जी, ‘हिन्द दी चादर’ बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे।''

कार्यक्रम इतना भव्य रखा गया है। इसकी तैयारी इतनी खास की गई है कि हर कोई इसे एक ऐतिहासिक लम्हा बता रहा है। वैसे भी सूर्यास्त के बाद लाल किले से देश को संबोधित करने वाले नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री है। इस खास मौके पर पीएम मोदी सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया।

किले को आयोजन स्थल के रूप में चुने जाने के पीछे अधिकारियों ने कहा कि इसे इसलिए चुना गया क्योंकि यहीं से 1675 में मुगल शासक औरंगजेब ने सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर की जान लेने का आदेश दिया था। इस कार्यक्रम में अन्य राज्यों के 11 मुख्यमंत्री और देश के प्रमुख सिख नेता शामिल हुए।

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