जब से पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नागपुर में आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार किया है, लोग दो धड़ों में बंटे हुए हैं। विपक्षी पार्टियां जहां इसकी निंदा कर रही हैं वहीं भाजपा-आरएसएस से जुड़े लोग मुखर्जी के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं। कार्यक्रम 7 जून को होना है।
इस विवाद पर आरएसएस विचारक केएन गोविंदाचार्य ने ‘आउटलुक’ को बताया, ‘हर साल संघ शिक्षा और संघ स्थापना के मौके पर आरएसएस कुछ सार्वजनिक कार्यक्रम करता है और सार्वजनिक जीवन के ऐसे व्यक्तियों को बुलाता है जो संघ की अच्छी बातों को प्रसारित करने में मदद कर सकें। कार्यक्रमों का उद्देश्य यही है कि लोगों के बीच आरएसएस की स्वीकार्यता बढ़े ताकि आम आदमी, जिनके बीच संघ की डरावनी छवि है, वे हमारे काम को स्वीकार कर सकें। इस कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी आ रहे हैं क्योंकि वह एक पब्लिक फिगर हैं और उनकी पहुंच बड़ी है। इससे हमें बड़े पैमाने पर हमारा संदेश पहुंचाने में मदद मिल सकती है।‘
उन्होंने कहा, ‘गांधी की हत्या के बाद लोगों के मन में आरएसएस को लेकर खराब छवि है। हमें इन मुश्किलों से बाहर आने में काफी कठिनाई झेलनी पड़ी। हमें कार्यक्रमों में ऐसे लोगों की जरूरत थी ताकि लोग हमसे अच्छे रूप में जुड़ाव महसूस कर सकें। हमें दूसरी राजनीतिक पार्टियों से इस सर्टिफिकेट की जरूरत है। लोग जान सकें कि आरएसएस हिंसा का समर्थक नहीं है बल्कि शांति का संदेशवाहक है। समाज में आरएसएस की इस खराब छवि को सुधारने के लिए ऐसे कार्यक्रम हर साल आयोजित किए जाते हैं। आरएसएस पर बैन लगाया गया था और ये बात अब भी आरएसएस काडर को सताती है। इसे ठीक करने की जरूरत थी और अब चीजें हमारे पक्ष में हैं। आरएसएस खुद का विस्तार करने और अच्छे संबंधों का निर्माण करने को लेकर हमेशा सकारात्मक रहा है।‘
एक ‘कांग्रेसी’ के कार्यक्रम में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘इसे मीडिया ने इतना तूल दिया। वह अकेले नहीं हैं जो कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। मेरे पास पूरी लिस्ट है। अगर कोई कांग्रेसी कार्यक्रम में शामिल होता है तो इसमें बुरा क्या है? कौन यह विवाद खड़ा कर रहा है और क्यों? कांग्रेस एक संगठन है। यह शुरू से मौजूद है। इसकी मदद से हमें अपना संदेश पहुंचाने में मदद मिलेगी। आप प्रणब मुखर्जी का प्रोफाइल देखिए। निश्चित है उनके द्वारा कोई संदेश जाता है तो इसका प्रभाव बड़ा होगा।‘
गोविंदाचार्य ने कहा, ‘85,000 सेवा की गतिविधियां आरएसएस द्वारा संचालित की जाती हैं लेकिन उनकी कभी बात नहीं होगी। आरएसएस के 85 फीसदी स्वयंसेवक राजनीति से मुक्त हैं। केवल 15 फीसदी स्वयंसेवक राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। आरएसएस को बगैर किसी वजह के बैन किया गया था। स्वयंसेवक भी इंसान हैं। उन्हें इन सब बातों से फर्क पड़ता है।‘