संशोधित नागरिकता कानून को लेकर गुरुवार को देश के कई शहरों में विरोध प्रर्दशन हुए। इस दौरान पुलिस ने सौ से ज्यादा प्रदर्शनकारियों और कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। लेखक रामचंद्र गुहा, योगेंद्र यादव, वृंदा करात, उमर खालिद और अन्य को पुलिस ने दिल्ली, हैदराबाद और बेंगलुरु में हिरासत में लिया। वाम नेताओं डी राजा, सीताराम येचुरी, नीलोत्पल बसु, वृंदा करात, अन्य को दिल्ली के मंडी हाउस से हिरासत में लिया गया। हैदराबाद में पुलिस ने चारमीनार के बाहर कम से कम 50 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया।
बेंगलुरु से हिरासत में लिए गए गुहा ने कहा, "मुझे पुलिस पर खेद है। उन्हें दिल्ली से आदेश मिल रहे हैं। यह पूरी तरह से गलत है। शांतिपूर्ण और आम नागरिक विरोध कर रहे हैं। हमारे गृह मंत्री शांतिपूर्ण विरोध नहीं करने देंगे। सभी को खड़ा होना चाहिए।"
नहीं थी विरोध मार्च की अनुमतिः पुलिस
दिल्ली में दो विरोध प्रदर्शन किए जाने थे। एक छात्रों और कार्यकर्ताओं द्वारा और दूसरा वाम दलों द्वारा। दोनों मार्च आईटीओ के पास शाहीन पार्क में मिलने थे। दिल्ली पुलिस ने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा मंडी हाउस से जंतर मंतर तक होने वाले विरोध मार्च के लिए अनुमति नहीं दी गई थी। लाल किले के आस-पास के क्षेत्र में, प्रदर्शनकारियों को पुलिस बसों में घसीटकर ले गईं। यहां पुलिस ने धारा 144 लगाई थी, जिसमें चार से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध था।
इंटरनेट और एसएमएस पर लगाई रोक
पुलिस के निर्देशों के बाद दिल्ली के कुछ हिस्सों में मोबाइल इंटरनेट, एसएमएस और वॉयस कॉलिंग सेवाएं बंद कर दी गईं। इस बीच, दिल्ली के 20 मेट्रो स्टेशनों पर प्रवेश और निकास गुरुवार को बंद कर दिया गया ताकि लोग प्रतिबंध के चलते एकत्रित न हो सकें और भारी संख्या में पुलिस बल लगाया गया। कई स्थानों पर प्रतिबंध के बावजूद लोगों ने एकत्रित होकर विरोध प्रदर्शन किया।
लखनऊ में वाहनों में लगाई आग
नए कानून का लखनऊ, चंडीगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और अन्य शहरों में भी विरोध किया गया। वहीं, लखनऊ में हिंसक प्रदर्शन हुआ। वहां प्रदर्शनकारियों ने एक पुलिस चौकी के बाहर खड़े वाहनों आग लगा दी और पराव किया। उत्तर प्रदेश के संभल में प्रदर्शनकारियों द्वारा एक बस में आग लगा दी गई। राज्य में इंटरनेट सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं। विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर जाँच के लिए पुलिस ने दिल्ली-गुरुग्राम रोड पर भी बैरिकेडिंग की।
संसद द्वारा पिछले सप्ताह नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किए जाने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद विधेयक अब कानून बन गया है।