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‘पद्मावत’ विवाद को भंसाली ने बताया तर्कहीन, कहा- ‘फिल्म के प्रदर्शन से खुश हूं’

संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' भारी विवाद के बाद 25 जनवरी को रिलीज हो गई। भले ही फिल्म को सिनेमाघरों...
‘पद्मावत’ विवाद को भंसाली ने बताया तर्कहीन, कहा- ‘फिल्म के प्रदर्शन से खुश हूं’

संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' भारी विवाद के बाद 25 जनवरी को रिलीज हो गई।

भले ही फिल्म को सिनेमाघरों तक पहुंचने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा हो लेकिन जैसे ही फिल्म थिएटर पहुंची, वैसे ही इसने रिकॉर्डतोड़ कमाई करना शुरू कर दिया।

इस पर पीटीआई को दिए इंटरव्यू में भंसाली ने कहा कि 'पद्मावत' को दर्शकों से मिली अभूतपूर्व प्रतिक्रिया ही इस फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के लिए उनका जवाब है। फिल्म की रिलीज को लेकर जिस परेशानी का उन्हें सामना करना पड़ा उसके बारे में अंतत: अपना पक्ष रखते हुए निर्देशक ने कहा कि वह बहुत परेशान हुए हालांकि इस पूरे फितूर पर कोई प्रतिक्रिया देने के बजाए उन्होंने पूरा ध्यान अच्छी से अच्छी फिल्म बनाने पर दिया।

देशभर में करणी सेना के नेतृत्व में राजपूत समुदाय के प्रदर्शनों का सामना करने के बाद पिछले हफ्ते रिलीज हुई फिल्म 'पद्मावत' एक ब्लॉकबस्टर बन चुकी है। भंसाली ने इसे अपने जीवन की 'सबसे ज्यादा कठिनाई भरी रिलीज' बताया। कहा कि वह इस बात से खुश हैं कि इतनी परेशानियों के बावजूद अंतत: फिल्म थिएटरों तक पहुंच पाई।

यह उस व्यथा का जवाब है जिससे हम सब, मैं, अभिनेता और तकनीशियन गुजरे हैं। हममें सेको भी नहीं सुना गया जबकि हमने बार-बार कहा कि फिल्म में कुछ भी गलत नहीं है। मैंने महसूस किया कि आगे बढ़ने और इससे लड़ने का सबसे अच्छा तरीका है ऐसी फिल्म बनाना जो मेरे दिमाग में है।"

हालांकि निर्देशक ने यह स्वीकार किया कि फिल्म के इर्द गिर्द की सारी नकारात्मकता से निपटना उनके लिए मानसिक तौर पर बड़ा मुश्किल रहा लेकिन उन्होंने इसे पर्दे पर नहीं आने दिया। उन्होंने कहा, "मैं जानता था कि मैं परेशान हूं, भ्रमित हूं लेकिन कहीं गहरे में मैंने फिल्म को बनाने की ताकत जुटा ली और इस मनोव्यथा और परेशानी को पर्दे पर नहीं आने दिया। बीते कुछ महीनों में मैं लगातार सुधार करता रहा, उसे रचनात्मक बनाता रहा और फिल्म को अगले स्तर पर ले जाता रहा। यह उन सभी आपत्तियों का जवाब था जो अफवाहों और किसी एजेंडा पर आधारित था जिसे मैं समझ नहीं सका।"

निर्देशक ने कहा कि उन्हें और अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को मिली धमकियों की थाह लेना उनके लिए मुश्किल था। उन्होंने कहा, "प्रदर्शक तर्कहीन थे, विवेकहीन थे और उनके बारे में चर्चा करने जैसा कुछ नहीं था। ये उतने घृणित स्तर पर पहुंच गए थे जिसमें लोग तलवारे लिए राष्ट्रीय टेलीविजन पर बैठे दिख रहे थे और मौत की धमकी दे रहे थे। अगर मैं टीवी पर हर एक चैनल पर जाकर यह कहता कि फिल्म में कुछ भी गलत नहीं है, तब भी वे इसे नहीं समझते। चाहे कितनी भी बार इसे न्यायोचित बताया जाए, यह उन तक नहीं पहुंचेगा, नहीं सुना जाएगा।"

भंसाली ने कहा कि चार राज्यों में रिलीज नहीं होने के बावजूद फिल्म का बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन अच्छा है, इससे यह साबित होता है कि लोग इसे देखने के लिए कितने बेताब हैं।

उन्होंने कहा, "फिल्म को मिली प्रतिक्रिया बताती है कि लोग इसे देखने के लिए कितने बेताब थे। मुझे फिल्म के लिए प्यार नजर आ रहा है। मैं दिल से जानता हूं कि फिल्म खूबसूरत है। फिल्म को पूरा करने, सेंसर की इजाजत मिलने और इसके थियेटरों तक पहुंचने तक कई सारे व्याकुल पल रहे। यह एक कठिन प्रक्रिया रही। निश्चित ही यह मेरे जीवन में सबसे ज्यादा चिंता से भरी रिलीज रही।

भंसाली ने 16वीं सदी में मोहम्मद जायसी की इस रचना से अपना विशेष जुड़ाव बताया। उन्होंने कहा, "बहुत सारे राजपूत लोगों ने फिल्म देखी है और वह कह रहे हैं कि यह हमारा गुणगान करती है, यह हमारा तथा हमारे पूर्वजों का जश्न मनाती है और इस फिल्म में कुछ भी गलत नहीं है तो फिर वह शोर किस बारे में था? "

निर्देशक ने कहा कि मीडिया, फिल्म जगत और दर्शकों से ऐसा समर्थन मिलना एक दुर्लभ अनुभव है। उन्होंने कहा, "यह एक दुर्लभ अनुभव है। मैंने कभी नहीं देखा या सुना कि कोई फिल्मकार इस सब से गुजरा, उबरा और फिल्म थिएटरों में पहुंची और उसे दर्शकों का प्यार मिला। जो भी कुछ कहा गया या हुआ उससे फिल्म और खास बन गई।"

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