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निजी अस्पतालों की दुकानों से दवा लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकताः दिल्ली सरकार

दिल्ली सरकार ने निजी अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए अहम फैसला लिया है। मरीजों को अस्पताल की...
निजी अस्पतालों की दुकानों से दवा लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकताः दिल्ली सरकार

दिल्ली सरकार ने निजी अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए अहम फैसला लिया है। मरीजों को अस्पताल की दुकानों से दवा खरीदने के लिए न तो मजबूर किेया जा सकता है और न ही इमरजेंसी के मरीजों के इलाज में भुगतान को लेकर देरी की जा सकती है। साथ ही इलाज का खर्च न चुका पाने पर भी अस्पताल शव ले जाने से नहीं रोकेंगे।

 

सोमवार को स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि दिल्ली सरकार के नए रेगुलेशन के तहत ही निजी अस्पताल मरीज का इलाज करेंगे। इसके लिए अस्पतालों को एडवाइजरी जारी कर दी गई है। सरकार ने अस्पतालों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली नर्सिंग होम्स कानून के रूल्स और रेगूलेशन में संशोधन के लिए एक कमेटी गठित की थी जिसकी रिपोर्ट के आधार पर एक ड्राफ्ट तैयार किया गया है। अब इस ड्राफ्ट पर जनता से तीस दिन में सुझाव और आपत्तियां मांगी है और उप समिति भी गठित की जाएगी ताकि संशोधन को अंतिम रूप दिया जा सके।

उन्होंने बताया कि अभी तक मरीजों को अस्पताल की दुकानों से ही दवा लेने को मजबूर किया जाता है। ऐसे में उन्हें कई बार ज्यादा पैसा चुकाना पड़ता है क्योंकि उन्हें किसी तरह की कोई छूट नहीं मिलती। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में अस्पताल की दवा दुकानों से इंजेक्शन लेने पर बाहर के मुकाबले दोगुना दाम चुकाना पड़ता है। इस तरह की खामियों पर अंकुश लगाने के लिए यह पहल की जा रही है।

स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक, किसी भी सूरत में इमरजेंसी के मरीजों को अस्पताल से नहीं लौटाया जा सकता और न ही भुगतान के लिए उनके इलाज में देरी की जा सकती है। अस्पताल जरूरी दवाओं की सूची में दी गई दवा लिखने को ही वरीयता देंगे। अगर मरीज की मौत अस्पताल में दाखिल करने के छह घंटे के भीतर हो जाती है तो बिल में 50 फीसदी की छूट जाएगी।

 

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