राफेल डील को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट में दावा किया है कि केंद्र सरकार इस डील को लेकर इतनी हड़बड़ी में थी कि उसने एंटी करप्शन क्लॉज जैसी महत्वपूर्ण शर्त को हटा दिया। रिपोर्ट के हवाले से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ‘हर रक्षा डील में एंटी करप्शन क्लॉज होती है। पीएम ने इस क्लॉज को हटा दिया। साफ है कि पीएम ने लूट की छूट दी है।‘
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने अनिल अंबानी के लिए एयर फोर्स से 30 हजार की चोरी करने के दरवाजे खोल दिए। दो देशों के बीच होने वाले करार से पहले डील से एस्क्रो अकाउंट और दंडात्मक प्रावधान वाली धाराएं हटा दी गईं।
रोज हो रहे हैं नए खुलासेः चिदंबरम
पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा, 'सरकार ने जितना सोचा नहीं था, उससे ज्यादा तेजी से राफेल डील में खुलासे हो रहे हैं।' पहले खुलासा हुआ कि 126 की जगह 36 राफेल की डील की गई। फिर यह खुलासा हुआ कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने समानांतर बातचीत करके भारतीय वार्ता दल के प्रयासों को कमजोर किया। अब यह खुलासा हुआ है कि मानक रक्षा खरीद प्रक्रिया के प्रावधानों में बदलाव किए गए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दॉसो को इस डील में फायदा हुआ है।
बिना गारंटी एडवांस में दी गई रकमः सुरजेवाला
कांग्रेस नेता पी. चिदम्बरम ने इस पर ट्वीट कर कहा, 'कोई सॉवरेन गारंटी नहीं, बैंक गारंटी भी नहीं, कोई एस्क्रो अकाउंट नहीं, फिर भी बड़ी रकम एडवांस में दी गई।‘
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने अंग्रेजी अखबार की एक खबर शेयर करते हुए ट्वीट किया, 'मोदी जी, राफेल सौदे में सॉवरन गारंटी माफ करने के बाद अपने भ्रष्टाचार विरोधी प्रावधान में भी छूट दे दी। आखिर आप कौन सा भ्रष्टाचार छिपाना चाहते थे?’
अखबार की खबर में कहा गया है कि फ्रांस के साथ इस सौदे के समझौते पर दस्तख्त करने से चंद दिन पहले ही सरकार ने इसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ पेनाल्टी से जुड़े अहम प्रावधानों को हटा दिया था।
मामले की हो उच्चस्तरीय जांचः माकपा
माकपा ने लड़ाकू विमान राफेल की खरीद में कथित गड़बड़ी के लगातार हो रहे नये ‘‘खुलासों’’ का हवाला देते हुये समूची खरीद प्रक्रिया की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। माकपा पोलित ब्यूरो ने सोमवार को कहा कि राफेल मामले में मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से लगातार नये नये खुलासे हो रहे हैं। इनमें ताजा मामला राफेल की खरीद प्रक्रिया के प्रावधानों से भ्रष्टाचार रोधी प्रावधान हटाने और सौदे से जुड़ी बातचीत में समानांतर रूप से प्रधानमंत्री कार्यालय के शामिल होने का खुलासा होने से जुड़ा है। इससे लगता है कि खरीद प्रक्रिया से बैंक गारंटी के प्रावधान को प्रधानमंत्री कार्यालय के दखल पर ही हटाया गया।
एयरफोर्स अफसर ने उठाए सवाल
वहीं, इस डील की अगुवाई वाले एयरफोर्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अखबार के दावों पर सवाल उठाए हैं। फ्रांस से होने वाली बातचीत के मुखिया एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा ने कहा कि एक प्वाइंट को साबित करने के लिए नोट के कुछ चुने हुए हिस्सों को ही उठाया गया है। इनमें भारत की तरफ से बातचीत करने वाली टीम को लेकर कोई तथ्य ही नहीं है। उन्होंने कहा, 'डील को लेकर बातचीत करने वाली टीम के सभी 7 सदस्यों ने बिना किसी असंतोष के अपने हस्ताक्षर किए और अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंप दी।
कांग्रेस राफेल विमान सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लंबे समय से लगा रही है, हालांकि सरकार इसे सिरे से खारिज करती रही है।
रिपोर्ट में यह किया गया है दावा
भारत और फ्रांस के बीच 7.5 बिलियन यूरो में किए गए राफेल विमान के सौदे में भारत सरकार की ओर से बड़ी और अभूतपूर्व रियायतें दी गई थीं। अंतर सरकार समझौता (आइजीए) पर हस्ताक्षर करने से कुछ दिन पहले भ्रष्टाचार रोधी जुर्माना के लिए महत्वपूर्ण प्रावधानों और एक एस्क्रॉ अकाउंट के जरिये भुगतान करने की शर्तों को हटा दिया गया था।