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राहुल गांधी ने अपनी सजा के फैसले को त्रुटिपूर्ण बताया, अपने खिलाफ सख्ती बरते जाने की बात कही

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सूरत की एक सत्र अदालत से कहा कि ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी को लेकर 2019 के एक...
राहुल गांधी ने अपनी सजा के फैसले को त्रुटिपूर्ण बताया, अपने खिलाफ सख्ती बरते जाने की बात कही

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सूरत की एक सत्र अदालत से कहा कि ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी को लेकर 2019 के एक आपराधिक मानहानि मामले में एक मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा उनकी दोषसिद्धि ‘‘त्रुटिपूर्ण’’ और स्पष्ट रूप से गलत थी।

साथ ही, गांधी ने यह भी कहा कि उन्हें एक ऐसे तरीके से सजा सुनाई गई कि वह संसद सदस्य के तौर पर अयोग्य हो जाएं।

राहुल ने दोषसिद्धि और पिछले महीने सुनाई गई दो साल की कैद की सजा के खिलाफ सत्र अदालत में दायर अपनी अपील में दलील दी है कि निचली अदालत ने उनके साथ सख्ती बरती, जो एक सांसद के तौर पर उनके दर्जे से अत्यधिक प्रभावित थी। उन्होंने कहा कि एक निश्चित मोदी समाज या समुदाय जैसी कोई चीज रिकार्ड में नहीं है।

दोषसिद्धि को निलंबित करने का अनुरोध करने वाली उनकी अर्जी पर 13 अप्रैल को सुनवाई होगी। अर्जी में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा है, ‘‘यह दलील देना तर्कसंगत प्रतीत होता है कि अर्जीकर्ता को असल में इस तरीके की सजा सुनाई जाए जो (संसद सदस्य के तौर पर) अयोग्य घोषित करने का मार्ग प्रशस्त करे।

इससे पहले, दिन में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर पी मोगेरा की अदालत ने उन्हें उनकी अपील का निस्तारण होने तक 15,000 रुपये के एक मुचलके पर जमानत दे दी।

राहुल 2019 में केरल की वायनाड सीट से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। उन्हें 23 मार्च को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एच एच वर्मा की अदालत ने दोषी करार दिया और दो साल की जेल की सजा सुनाई थी।

मजिस्ट्रेट अदालत ने फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए उन्हें 30 दिनों के लिए जमानत दी थी। फैसला सुनाये जाने के एक दिन बाद, राहुल को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के मुताबिक, दो साल की जेल की सजा मिलने पर सांसद या विधायक संसद या विधानमंडल की अपनी सदस्यता से, दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य हो जाता है।

राहुल (52) ने सत्र अदालत में दायर अपनी अपील में कहा, ‘‘सीजेएम (मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) द्वारा दोषसिद्धि का फैसला और सुनाई गई सजा त्रुटिपूर्ण, स्पष्ट रूप से विकृत, आपराधिक मुकदमे में साक्ष्य को महत्व देने के सिद्धांतों का खुला उल्लंघन है…।’’

कांग्रेस नेता ने अपने वकील द्वारा दायर अर्जी में दावा किया कि दोषसिद्धि का फैसला किसी साक्ष्य के बगैर पारित किया गया।

अर्जी के मुताबिक, मजिस्ट्रेट अदालत का फैसला पूर्वधारणा,अनुमान,अटकलबाजी और परिकल्पना के आधार पर जारी किया गया,जिसकी कहीं से भी आपराधिक कानून में अनुमति नहीं है।

राहुल ने कहा कि निचली अदालत ने यह मानने में त्रुटि की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति नीरव मोदी, ललित मोदी, मेहुल चोकसी तथा विजय माल्या के खिलाफ आरोप लगाने के बाद भी वह नहीं रूके और इस तरह उनका इरादा मोदी उपनाम वाले सभी लोगों को अपमानित करने का था।

राहुल के खिलाफ पूर्णेश मोदी ने उस टिप्पणी को लेकर शिकायत दर्ज करायी थी जिसमें उन्होंने कहा था, ‘‘सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों है?’’

राहुल ने 13 अप्रैल 2019 को लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक रैली को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की थी। टिप्पणी को अपमानजनक माना गया और गुजरात के पूर्व मंत्री ने मामला दर्ज कराया।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘मोदी (उपनाम वाले लोगों) की संख्या 13 करोड़ है और इन सभी लोगों के पास शिकायत दायर करने का अधिकार नहीं है क्योंकि यह (समुदाय या समाज) पहचान किये जाने योग्य, निश्चित, निर्धारित समूह या व्यक्तियों का समूह नहीं है।’’

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