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भारत-पाक से लगी सीमा हुई ‘स्मार्ट’, मानवरहित निगरानी होगी संभव, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने किया उद्घाटन

भारत-पाक सीमा पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने देश के पहले स्मार्ट फेंस का उद्घाटन किया। जम्मू...
भारत-पाक से लगी सीमा हुई ‘स्मार्ट’, मानवरहित निगरानी होगी संभव, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने किया उद्घाटन

भारत-पाक सीमा पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने देश के पहले स्मार्ट फेंस का उद्घाटन किया। जम्मू में 5-5 किमी पर लगाई इस स्मार्ट फेंस के जरिए बिना वहां जाए जमीनी स्तर पर सुरक्षा हालात की जानकारी ली जा सकेगी। इस मौके पर उनके साथ केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह भी मौजूद थे।

कॉम्प्रिहेन्सिव इंटेग्रेटिड मैनेजमेंस सिस्टम यानी सीआइएमएस नाम की इस फेंसिंग के भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कठुआ, सांबा और जम्मू जिले में पांच-पांच किलोमीटर की दूरी में दो स्थानों पर स्मार्ट फेंस बनाए गए हैं।

समाचार एजेंसी एएनआई की खबर के अनुसार इस अवसर पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा  “कॉम्प्रिहेन्सिव इंटेग्रेटिड मैनेजमेंस सिस्टम को लागू करने से हमारी सीमा पहले से ज्यादा सुरक्षित हो जाएंगी। भारत जल्द ही इस तकनीक को 2026 किलोमीटर सीमा में लागू करेंगा जिसे असुरक्षित माना जाता है। इससे फिजिकल पेट्रोलिंग पर हमारी निर्भरता में भी कमी आएगी।“

कैसे करती है काम?
जम्मू में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर 5.5 किलोमीटर क्षेत्र में लगाया गया यह फेंसिंग अपने आप में पहला हाईटेक निगरानी सिस्टम है  जो जमीन, पानी, हवा और भूमिगत स्तर पर एक अदृश्य इलेक्ट्रॉनिक दीवार बनाता है। इस प्रणाली से सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ) के जवानों को मुश्किल क्षेत्रों में घुसपैठ रोकने में मदद मिलेगी। सीआईबीएमएस के तहत अत्याधुनिक सर्विलांस टेक्नॉलजी, थर्मल इमेजर्स, इन्फ्रारेड और लेजर आधारित घुसैपठ अलार्म हैं। ये सब चींजें मिलकर एक अदृश्य दीवार बनाती हैं।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने गृह मंत्रालय में एक अधिकारी के हवाले से खबर दी है कि इस प्रणाली में हवाई निगरानी के लिए एयरोस्टेट, सुरंगों के जरिए घुसपैठ का पता लगाने में मदद के लिए ग्राउंड सेंसर, पानी के रास्ते के लिए सेंसर युक्त सोनार सिस्टम, जमीन पर ऑप्टिकल फाइबर सेंसर है। यह कार्यक्रम सीमा प्रबंधन प्रणाली को और ज्यादा मजबूत बनाएगा, जो मानव संसाधन के साथ आधुनिक टेक्नॉलजी को जोड़ता है। इंटीग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम पर आधारित यह आभासी बाड़ भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना होगी।

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