हाल ही में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा देश के ‘उत्कृष्ट संस्थानों’ की सूची जारी की गई, जिसमें आईआईटी दिल्ली और बॉम्बे शामिल किया गया है। इसमें आईआईएससी (भारतीय विज्ञान संस्थान) बेंगलुरु, बिट्स पिलानी और मणिपाल यूनिवर्सिटी जैसे संस्थान भी शामिल हैं। वहीं, इस सूची में उद्योगपति मुकेश अंबानी की वो जियो यूनिवर्सिटी भी शामिल है, जो अब तक अस्तित्व में ही नहीं आई है।
केंद्र द्वारा जारी इस सूची में जियो यूनिवर्सिटी का नाम सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर सरकार के इस फैसले की जमकर खिंचाई हो रही है कि उसने मौजूदा कई बड़े संस्थानों को छोड़कर जियो यूनिवर्सिटी को प्राथमिकता दी। हालांकि केंद्र के इस फैसले पर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बाद में सफाई भी पेश की है।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव आर सुब्रमण्यम ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा, ‘अभी हमने इन ‘श्रेष्ठ संस्थानों’ को सिर्फ ‘लेटर ऑफ इंटेंट’ (सरकार की मंशा जताने वाला पत्र) जारी किया है। उन्हें अभी कोई दर्जा नहीं दिया गया है।’
As Jio institute is starting on a greenfield mode, they will only get 'Letter of Intent' which states they must set-up in 3 yrs. If they setup, then they get 'IOE' status, right now they don't have the tag, they only have letter of intent: R Subramanyam,Secretary,Higher Education pic.twitter.com/cAYiEu71Gk
— ANI (@ANI) July 10, 2018
ग्रीनफील्ड कैटेगरी में है जियो इंस्टीट्यूट
मंत्रालय के सचिव ने इसको लेकर अपनी सफाई देते हुए कहा है कि इंस्टीट्यूट्स को उत्कृष्ट संस्थानों का दर्जा देने के संबंध में तीन कैटेगरी हैं। पहली कैटेगरी में सार्वजनिक संस्थान जिनमें आईआईटी शामिल है, द्वितीय श्रेणी प्राइवेट संस्थानों से जुड़ी है, जिसमें बीआईटीएस पिलानी और मणिपाल यूनिवर्सिटी शामिल है जबकि तीसरी कैटेगरी में ग्रीनफील्ड प्राइवेट संस्थान है जो अभी नहीं हैं, लेकिन जहां ग्लोबल मानकों की बात हो, उनका स्वागत किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, 'ग्रीनफील्ड श्रेणी के लिए 11 प्रस्ताव आए थे। समिति ने उनके प्रस्तावों को पढ़ने और समझने के बाद भूमि, बिल्डिंग की जरूरतों को देखते हुए केवल एक संस्था को योग्य माना।'
जियो यूनिवर्सिटी के पास फिलहाल 'लेटर ऑफ इंटेंट'
आर सुब्रमण्यम ने बताया कि चूंकि जियो इंस्टीट्यूट ग्रीनफील्ड के अंतर्गत शुरू हो रहा है, इसलिए उन्हें केवल 'लेटर ऑफ इंटेंट' मिलेगा और उन्हें 3 साल में सेट अप देना होगा। यदि वे सेटअप तैयार करते हैं, तो उन्हें 'आईओई' स्टेटस दिया जाएगा, अभी उनके पास टैग नहीं है, उनके पास केवल लेटर ऑफ इंटेंट है।
उन्होंने बताया, इस योजना के तहत निजी संस्थानों को सरकार से कोई वित्तीय मदद देने का प्रावधान नहीं है। इसके बजाय उन्हें नियम-कायदों के झंझट से जहां तक संभव है बचाते हुए पूरी स्वायत्ता दी जाएगी। इस पर भी एक बात ये है कि इन सभी संस्थानों को अभी अपनी कार्ययोजना पेश करनी है कि वे कैसे इस सुविधा के बाद खुद को विश्वस्तरीय संस्थान के तौर पर परिवर्तित करेंगे। इसके बाद उन्हें यह सुविधा मिलेगी।’
एक हजार करोड़ रुपए प्राइवेट संस्थानों को दिए जाने की बात पर उन्होंने कहा, '1000 करोड़ रुपए सार्वजनिक संस्थानों जैसे आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मुंबई को दिए जाएंगे। बहुत सारा प्रोपेगैंडा फैलाया जा रहा है। यह गलत है।'
Rs 1000 crore will be given only to public institutions, that is, Indian Institute of Science, IIT Delhi and IIT Mumbai. There is a lot of wrong propaganda is going on, it is not correct: R Subramanyam, Secretary,Higher Education on Rs 1000 cr being given to pvt institutions pic.twitter.com/e9ktdeXbVs
— ANI (@ANI) July 10, 2018
कांग्रेस ने घेरा
कांग्रेस का दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कॉरपोरेट फ्रेंड्स (उद्योगपति दोस्त) को फायदा पहुंचाने की कोशिश की है। कांग्रेस को रिलायंस फाउंडेशन के जियो इंस्टीट्यूट पर आपत्ति है। पार्टी सवाल पूछ रही है कि जियो इंस्टीट्यूट अब तक बना ही नहीं है तो सरकार कैसे उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा दे सकती है? कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से #SuitBootSarkar के साथ ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साधा।
कांग्रेस ने कहा, 'बीजेपी की सरकार ने एक बार फिर मुकेश अंबानी और नीता अंबानी को फायदा पहुंचाया। जियो इंस्टीट्यूट जो अस्तित्व में ही नहीं है उसे इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा दिया गया। सरकार को सफाई देनी चाहिए कि इस तरह के स्टेटस देने का क्या पैमाना है।'
वहीं, असम से पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तरुण गोगाई ने ट्वीट कर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा, 'बीजेपी सरकार द्वारा आईआईटी बंबई, आईआईएससी आदि के साथ जियो इंस्टीट्यूट को 'इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस' का दर्जा दिया जाना हास्यास्पद है। रिलायंस फाउंडेशन का जियो इंस्टीट्यूट अभी अस्तित्व में नहीं है। यह मोदी सरकार को एक्सपोज करती है कि वह अपने कॉरपोरेट फ्रेंड्स को लगातार मदद पहुंचा रही है।'
मंत्रालय ने दी सफाई
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पूरे विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि यूजीसी रेगुलेशन 2017, के क्लॉज 6.1 के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में बिल्कुल नए संस्थानों को भी शामिल किया जा सकता है। इसका उद्देश्य निजी संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के एजुकेशन इंफास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए बढ़ावा देना है, ताकि देश को इसका लाभ मिल सके। मंत्रालय ने कहा कि जियो इंस्टीट्यूट को ग्रीनफील्ड कैटेगरी के तहत चुना गया है, जो कि नए संस्थानों के लिए होती है।
जानें क्या बोले थे जावड़ेकर
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ये सूची जारी करते हुए कहा कि देश के लिए ‘उत्कृष्ट संस्थान’ काफी महत्वपूर्ण है। हमारे देश में 800 विश्वविद्यालय हैं लेकिन एक भी विश्वविद्यालय शीर्ष 100 या 200 की विश्व रैंकिंग में शामिल नहीं है। आज के निर्णय से इसे हासिल करने में मदद मिलेगी।
‘संस्थानों के स्तर एवं गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मिलेगी मदद’
एचआरडी मिनिस्ट्री ने कहा कि इस निर्णय से इन संस्थानों के स्तर एवं गुणवत्ता को तेजी से बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और पाठ्यक्रमों को भी जोड़ा जा सकेगा। इसके अलावा विश्व स्तरीय संस्थान बनाने की दिशा में जो कुछ भी जरूरी होगा वो किया जा सकेगा।
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि रैंकिंग को बेहतर बनाने के लिए टिकाऊ योजना, सम्पूर्ण स्वतंत्रता और सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को सार्वजनिक वित्त पोषण की जरूरत होती है। ‘मोदी सरकार की प्रतिबद्धता हस्तक्षेप नहीं करने और संस्थानों को अपने अनुरूप आगे बढ़ने की अनुमति प्रदान करने की है।’
इन छह संस्थानों में 3 निजी और 3 सार्वजनिक संस्थाएं शामिल
उन्होंने कहा कि इस दिशा में नरेन्द्र मोदी सरकार की ओर से एक और मील का पत्थर स्थापित करने वाली गुणवत्तापूर्ण पहल की गई। विशेषज्ञ समिति की ओर से उत्कृष्ट संस्थानों का चयन किया गया है और आज हम छह विश्वविद्यालयों की सूची जारी कर रहे हैं, जिसमें 3 सार्वजनिक क्षेत्र के और 3 निजी क्षेत्र के संस्थान शामिल हैं।
मील का पत्थर है एचआरडी मंत्रआलय का ये निर्णय
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह इस दिशा में मील का पत्थर निर्णय है क्योंकि इसके बारे न तो सोचा गया था और न ही प्रयास किया गया था। यह श्रेणीबद्ध स्वायत्तता से कहीं आगे की चीज है और वास्तव में संस्थानों की पूर्ण स्वायत्तता जैसा है।
उन्होंने कहा कि इससे संस्थान अपने निर्णय स्वयं ले सकेंगे। आज का निर्णय एक तरह से पूर्ण स्वायत्तता है और इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी छात्र शिक्षा के अवसर एवं छात्रवृत्ति, ब्याज में छूट, फीस में छूट जैसी सुविधाओं से वंचित न रहे।
आने वाले समय में और संस्थानों को मिल सकेगी ये मान्यता
जावड़ेकर ने आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बंबई और आईआईएससी बेंगलोर के साथ मनिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, बिट्स पिलानी और जियो इंस्टीट्यूट को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा मिलने पर बधाई दी। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में और संस्थानों को उत्कृष्ट संस्थान के रूप में मान्यता मिल सकेगी।
आईआईटी में लड़कियों की हिस्सेदारी 2 वर्षों की तुलना में 8% बढ़ी
जावड़ेकर ने कहा कि देश के आईआईटी में लड़कियों की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत हो गई है और दो वर्ष पहले की तुलना में यह 8 प्रतिशत की वृद्धि है। मंत्री ने आईआईएससी बेंगलोर को गौरव का विषय बताया और कहा कि इस संस्थान में बेहतर बनने की संभावना है। यह संस्थान सार्वजनिक क्षेत्र का संस्थान है, इसे पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की गई है ताकि यह वास्तव में विश्व स्तरीय संस्थान बन सके।
आईआईटी दिल्ली और बंबई को मिलेगा सरकारी वित्त पोषण
आईआईटी दिल्ली और आईआईटी बंबई को बधाई देते हुए जावड़ेकर ने कहा कि इन दोनों उत्कृष्ट संस्थानों को सरकारी वित्त पोषण प्राप्त होगा क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र के जिन संस्थानों को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा प्रदान किया गया है, उन्हें अगले पांच वर्षो के दौरान 1000 करोड़ रूपये का सरकारी अनुदान मिलेगा।