मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राबर्ट वाड्रा और उनके करीबी मनोज अरोड़ा को पांच लाख रुपये के निजी मुलचके पर स्पेशल सीबीआई कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई है। साथ ही कोर्ट ने रॉबर्ट वाड्रा के बिना पूर्व मंजूरी के देश छोड़कर जाने पर रोक लगा दी है।
कोर्ट ने वाड्रा से कहा कि आपको जांच में सहयोग करना है, सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करनी है और गवाहों को प्रभावित नहीं करना है। इससे पहले हुई सुनवाई में वाड्रा पर फैसला सुरक्षित रखा गया था। रॉबर्ट वाड्रा और मनोज अरोड़ा दोनों फिलहाल अंतरिम जमानत पर थे।
ईडी ने किया था जमानत का विरोध
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछली सुनवाई में रॉबर्ट वाड्रा की अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि उन्हें रॉबर्ट वाड्रा को हिरासत में लेकर पूछताछ करनी है। हमारे पास रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। वाड्रा सबूत मिटा सकते हैं। उन पर गंभीर आर्थिक अपराध का मामला है।
वाड्रा पर 19 लाख पाउंड में संपत्ति की खरीद में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। इस मामले में वाड्रा से अब तक प्रवर्तन निदेशालय कई बार लंबी पूछताछ कर चुका है।
पिछले साल मारा था छापा
ईडी ने पिछले साल दिसंबर में इस मामले में छापा मारा था और वाड्रा से जुड़ी कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी एलएलपी के कर्मचारी और उनके करीबी मनोज अरोड़ा से पूछताछ की थी। जांच एजेंसी ने अदालत से कहा था कि उसने अरोड़ा के खिलाफ पीएमएलए का मामला दर्ज किया था क्योंकि भंडारी के खिलाफ 2015 के कालाधन कानून के तहत आयकर विभाग द्वारा एक अन्य मामले की जांच के दौरान उसकी भूमिका के बारे में जानकारी मिली थी।
एजेंसी ने आरोप लगाया था कि लंदन की संपत्ति भंडारी ने 19 लाख पाउंड में खरीदी थी और उसके जीर्णोद्धार पर करीब 65,900 पाउंड का खर्च आने के बावजूद उसे 2010 में उसी कीमत पर बेच दिया।