चित्रकूट में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने 'घर वापसी' की वकालत करते हुए हिंदुओं के एक समूह को धर्म छोड़ने वालों की वापसी के लिए काम करने की शपथ दिलाई और सत्ता चाहने वालों को अहंकार छोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भय ज्यादा दिन तक बांध नहीं सकता है। अहंकार से एकता टूटती है। हम लोगों को जोड़ने के लिए काम करेंगे। तीन दिवसीय हिंदू एकता महाकुंभ में शामिल हो रहे लोगों को उन्होंने इसका संकल्प भी दिलाया।
आरएसएस प्रमुख के साथ कहा-'मैं हिन्दू संस्कृति का धर्मयोद्धा मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की संकल्प स्थली पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर को साक्षी मानकर संकल्प लेता हूं कि मैं अपने पवित्र हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति और हिन्दू समाज के संरक्षण संवर्धन और सुरक्षा के लिए आजीवन कार्य करूंगा। मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि किसी भी हिन्दू भाई को हिन्दू धर्म से विमुख नहीं होने दूंगा। जो भाई धर्म छोड़ कर चले गए हैं, उनकी भी घर वापसी के लिए कार्य करूंगा। उन्हें परिवार का हिस्सा बनाऊंगा। मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि हिन्दू बहनों की अस्मिता, सम्मान व शील की रक्षा के लिए सर्वस्व अर्पण करूंगा। जाति, वर्ग, भाषा, पंथ के भेद से ऊपर उठ कर हिन्दू समाज को समरस सशक्त अभेद्य बनाने के लिए पूरी शक्ति से कार्य करूंगा।'
भागवत ने कहा, "धर्म का पालन करने और अहंकार के बिना निस्वार्थ भाव से कार्य करने से व्यक्ति को कठिन से कठिन कार्यों में भी सफलता मिलती है।"
हिन्दू महाकुंभ की शुरुआत चित्रकूट में मंगलवार को 1100 शंखों के नाद से हुई। इस महाकुंभ में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के अलावा देश की कई बड़ी हस्तियां मौजूद हैं। महाकुंभ का आयोजन तुलसीपीठाधीश्वर श्री रामभद्राचार्य कर रहे हैं। कार्यक्रम को श्री श्री रविशंकर ने भी सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग जुटते हैं तो भय पैदा होता है। जबकि जहां संत और हिन्दू इक्ट्ठा होते हैं वहां अभय मिलता है। उन्होंने कहा कि देश भक्ति और ईश्वर भक्ति एक ही है। जो देशभक्त नहीं है वो ईश्वर भक्त भी नहीं हो सकता।
श्री श्री रविशंकर ने हिन्दू महाकुंभ के 12 मुद्दों का समर्थन किया। इसमें राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक श्रीराम मंदिर, देवस्थानों की परंपरा नष्ट कर रहा सरकारी नियंत्रण, धर्मांतरण की अंतर्राष्ट्रीय साजिश, देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून जरूरी, सामान नागरिकता का मिले अधिकार, लव जेहाद से युवा पीढ़ी में भटकाव, भारतीय दर्शन आधारित शिक्षा जरूरी, धर्म में व्यसन का त्याग हो अनिवार्य, गौरक्षा के हों ठोस प्रयास, मातृ शक्ति को सशक्त बनाना जरूरी, हिंदू धर्म के बारे में दुष्प्रचार बंद हो और पर्यावरण प्रदूषण पर रोक लगे।