महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई पुलिस के निलंबित अधिकारी सचिन वाजे को बर्खास्त कर दिया है। मुंबई पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। वाजे मनसुख हिरेन की मौत और एंटीलिया बम मामले में आरोपी हैं।
25 फरवरी को दक्षिण मुंबई में अंबानी के घर के बाहर एक एसयूवी मिली थी, जिसमें विस्फोटक सामग्री रखी हुई थी। उस एसयूवी के मालिक बताए गए कारोबारी मनसुख हिरन का पांच मार्च को ठाणे में एक नहर से शव मिलने के बाद मामले में नया मोड़ आ गया था। इसके बाद 13 मार्च को एनआईए ने वाजे को गिरफ्तार कर लिया। जांचकर्ताओं को संदेह है कि निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे ने दो लोगों को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराने की योजना बनाई थी, ताकि एंटीलिया मामले से उन्हें जोड़ा जा सके।
राज्य की सियासत में वाजे ऐसा शख्स बन गया है, जो लगातार अपने राज से राज्य के सत्ताधारी दल को मुश्किल में डाल रहा है। ऐसा पहली बार नहीं है जब सचिन वाजे विवादों में आया हो वो इससे पहले भी कई तरह के मामलों और विवादों में फंस चुका है। उसकी पहली पोस्टिंग महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में 1990 में हुई। तब वो एक सब इंस्पेक्टर था लेकिन देखते ही देखते महाराष्ट्र पुलिस का हर आला अफसर और राजनीतिज्ञ उसे जान गया। उसकी पहचान अब एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर थी। उसके नाम अब तक 63 क्रिमिनल्स के एनकाउंटर्स हैं।
27 वर्षीय ख्वाजा यूनुस सॉफ्टवेयर इंजीनियर था. पुलिस हिरासत में उसकी मौत हो गई। सचिन वाजे को तब हत्या और सबूत नष्ट करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया। लंबी जांच चली। सचिन वाजे 2004 में सस्पेंड हुआ। उसने 30 नवंबर 2007 में महाराष्ट्र पुलिस विभाग से इस्तीफा दे दिया। जांच होने के कारण इस्तीफा नामंजूर हो गया। साल 2008 में सचिन वाजे शिवसेना में शामिल हो गया। वो उसका प्रवक्ता भी बन गया। हालांकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हाल ही में कहा कि सचिन वाजे 2008 तक ही शिवसेना के सदस्य था, अब उसका पार्टी से कोई संबंध नहीं। हालांकि ये बात सही है कि उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के बाद उसकी महाराष्ट्र पुलिस में बहाली हो गई।