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सुप्रीम कोर्ट ने ललित मोदी को दी राहत, जानें क्या है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ललित मोदी को इंडियन प्रीमियर लीग के 2009 सीजन के संबंध में विदेशी मुद्रा...
सुप्रीम कोर्ट ने ललित मोदी को दी राहत, जानें क्या है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ललित मोदी को इंडियन प्रीमियर लीग के 2009 सीजन के संबंध में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उन पर लगाए गए 10.65 करोड़ रुपये के जुर्माने के खिलाफ राहत पाने के लिए सिविल कोर्ट जाने की स्वतंत्रता प्रदान की है।

मोदी ने उनसे नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से जुर्माने की राशि वसूलने के निर्देश मांगे थे।न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने मोदी की याचिका का निपटारा करते हुए उन्हें दीवानी उपचार लेने की अनुमति दे दी। इससे पहले मोदी की ओर से उपस्थित वकील ने अपनी याचिका वापस लेने की मांग की थी।

मोदी ने एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ उनकी याचिका खारिज करने के बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था।सुनवाई के दौरान मोदी के वकील ने तर्क दिया कि विभिन्न पूर्व न्यायिक निर्णयों के अनुसार यह मामला भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत प्रदत्त रिट क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आता है।

हालांकि, पीठ का मानना था कि ईडी द्वारा लगाए गए जुर्माने की वसूली के लिए बीसीसीआई को 'राज्य नहीं' माना गया है।पीठ ने कहा, "बीसीसीआई को 'राज्य नहीं' माना जाना चाहिए। वसूली राज्य के बराबर नहीं हो सकती।"इसके बाद मोदी के वकील ने इस मामले में सिविल कोर्ट में जाने की स्वतंत्रता मांगी। कोर्ट ने इस पर सहमति जताते हुए याचिका का निपटारा कर दिया और कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत स्वीकार्य नहीं है।

मई 2018 में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और इसके पूर्व प्रमुख एन. श्रीनिवासन सहित अन्य पर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 2009 संस्करण में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर जुर्माना लगाया था।

बीसीसीआई पर 82.66 करोड़ और श्रीनिवासन पर 11.53 करोड़ के जुर्माने के अलावा आईपीएल के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी (10.65 करोड़), बीसीसीआई के पूर्व कोषाध्यक्ष एमपी पांडोव (9.72 करोड़) और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर (7 करोड़) पर भी जुर्माना लगाया गया है।जुर्माने की कुल राशि 121.66 करोड़ रुपये है।

20 जुलाई 2011 को ईडी ने मोदी और बीसीसीआई को फेमा के प्रावधानों के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि 2009 में आईपीएल टूर्नामेंट से पहले आरबीआई की पूर्व अनुमति के बिना क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका को 243.45 करोड़ रुपये की राशि कथित तौर पर हस्तांतरित की गई थी।

इसके बाद बॉम्बे उच्च न्यायालय ने ईडी को मनोहर और तत्कालीन सचिव एन श्रीनिवासन सहित बीसीसीआई के कई पूर्व अधिकारियों को मामले में गवाह के रूप में बुलाने की अनुमति  दी। 

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