सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी जिलों में विशेष अदालतें बनाने का निर्देश दिया है जहां प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रिन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज (पॉक्सो) एक्ट के तहत 100 या इससे ज्यादा केस लंबित हैं। बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की जल्द सुनवाई के लिए बनने वाली इन अदालतों के लिए केंद्र सरकार को फंड उपलब्ध कराने होंगे।
100 से ज्यादा केस लंबित हैं तो बनेगी विशेष कोर्ट
मुख्य न्याधीश रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने केंद्र सरकार को 60 दिनों के भीतर ये अदालतें स्थापित करने का वक्त दिया है। बेंच में जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस भी थे। बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की जल्द सुनवाई के लिए ये विशेष अदालतें उन सभी जिलों में बनेंगी, जहां 100 से ज्यादा मामले लंबित हैं।
केंद्र और राज्यों को दिए ये निर्देश
बेंच ने कहा कि पॉक्सो मामले पर कानून कार्रवाई चलाने के लिए केंद्र सरकार को प्रशिक्षित और संवेदनशील अभियोजक और अन्य कर्मचारी नियुक्त करने होंगे। कोर्ट ने राज्यों के मुख्य सचिवों को भी निर्देश दिया है कि वे अपने राज्य और केंद्र शासित प्रेदेशों में ऐसे मामलों की फोरेंसिक रिपोर्ट समय भिजवाना सुनिश्चित करें।
केंद्र से प्रगति की रिपोर्ट 30 दिनों में मांगी
सुप्रीम कोर्ट ने ने केंद्र सरकार को इन अदालतों के धन उपलब्ध कराने, अभियोजकों एवं अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति करके विशेष अदालतें स्थापित करने की दिशा में हुआ प्रगति की 30 दिनों के भीतर प्रस्तुत करे।
समय पर भेजनी होगी फोरेंसिक रिपोर्ट
अदालत ने कहा कि पॉक्सो केसों के निस्तारण में तेजी लाने के लिए एमिकस क्यूरी वी. गिरि के सुझाव पर हर जिले में फोरेंसिंक लैब स्थापित करने के बारे में अभी इंतजार किया जाना चाहिए और तब तक राज्य केसों के जल्दी निस्तारण के लिए समय पर फोरेंसिक रिपोर्ट भिजवाना सुनिश्चित कर सकते हैं। अदालत इस मामले में अगली सुनवाई 26 सितंबर को करेगी।