सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा गिराये जाने की घटना से संबंधित मुकदमे की सुनवाई पूरी करने के लिए शुक्रवार को स्पेशल कोर्ट का कार्यकाल तीन महीने बढ़ा दिया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करने वाले स्पेशल जज एस के यादव को निर्देश दिया है कि वह 31 अगस्त तक मामले का ट्रायल पूरा करें। पहले स्पेशल जज को 30 अप्रैल तक ट्रायल पूरा करने को कहा था।
शीर्ष अदालत ने स्पेशल जज यादव द्वारा दायर एक अर्जी पर विचार करने के बाद कार्यकाल को बढ़ा दिया, जिसमें सीबीआई द्वारा दायर बाबरी मस्जिद विध्वंस से संबंधित मामले में मुकदमे को पूरा करने के लिए अपने कार्यकाल का विस्तार करने की मांग की गई थी। इस मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह अभियुक्त हैं।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का करें इस्तेमाल
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरएफ नरीमन और सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि, ट्रायल कोर्ट के जज को कार्यवाही पूरी करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं का इस्तेमाल करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि 31 अगस्त की वर्तमान समय सीमा किसी हाल में न बीते। पीठ ने कहा कि हम इस तथ्य के प्रति सजग हैं कि श्यादव इस मुकदमे को अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिये सभी प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, मूल समय सीमा और अब विस्तारित समय सीमा के मद्देनजर 31 अगस्त तक कार्यवाही पूरी करके फैसला सुनाने के प्रयास होने चाहिए।
पहले भी बढ़ाया है कार्यकाल
जुलाई 2019 में, शीर्ष अदालत ने ट्रायल कोर्ट को छह महीने के भीतर सबूतों की रिकॉर्डिंग पूरी करने और नौ महीने के भीतर निर्णय देने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार को सीबीआई अदालत के स्पेशल जज का कार्यकाल बढ़ाने के लिए प्रशासनिक आदेश जारी करने का भी निर्देश दिया था। जज 30 सितंबर, 2019 को सेवानिवृत्त होने वाले थे।
ये हैं आरोपी
दिसंबर, 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ढांचे को ढहा दिया गया था। मामले में आपराधिक साजिश के आरोप को लेकर भाजपा के दिग्गज नेताओं एल.के. आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती समेत 13 के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल की गई थी। बता दें कि पिछले साल नवंबर में पांच जजों की पीठ ने अयोध्या में 2.77 एकड़ की पूरी विवादित भूमि राम मंदिर निर्माण के लिए सौपंने का आदेश दिया था और सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ वैकल्पिक भूखंड देने को कहा था।