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सीबीआई विवादः सीवीसी रिपोर्ट से आलोक वर्मा को नहीं मिली राहत, कुछ आरोपों पर जांच की जरूरत

  सीबीआई विवाद के बीच छुट्टी पर भेजे गए डायरेक्टर आलोक वर्मा के खिलाफ केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी)...
सीबीआई विवादः सीवीसी रिपोर्ट से आलोक वर्मा को नहीं मिली राहत, कुछ आरोपों पर जांच की जरूरत

 

सीबीआई विवाद के बीच छुट्टी पर भेजे गए डायरेक्टर आलोक वर्मा के खिलाफ केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की रिपोर्ट पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। रिपोर्ट से फिलहाल आलोक वर्मा को राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने इस पर उनसे सोमवार तक जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि वर्मा के खिलाफ लगाए गए आरोपों को लेकर कुछ और जांच की जरुरत है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी रिपोर्ट आलोक वर्मा को सीलबंद लिफाफे में देने का आदेश दिया और इसका जवाब भी सीलबंद लिफाफा में मांगा है। वहीं, कोर्ट ने सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को सीवीसी रिपोर्ट देने से इनकार कर दिया। मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी।

 

सुप्रीम कोर्ट सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच उन्हें छुट्टी पर भेजने के आदेश को चुनौती दी गई है। वर्मा द्वारा दायर याचिका के अलावा, अदालत में एनजीओ कॉमनकॉज की जनहित याचिका भी विचाराधीन है। इस याचिका में सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जांच की मांग की गई है।

 

दिया था जांच का आदेश

 

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर को आलोक वर्मा के खिलाफ रिटायर्ड जज एके पटनायक की निगरानी में दो हफ्ते के भीतर सीवीसी जांच का आदेश दिया था। हालांकि आयोग ने एक दिन की देरी से 16 नवंबर को कोर्ट में अपनी रिपोर्ट सौंपी।  इस देरी पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सीवीसी को कड़ी फटकार भी लगाई थी।

 

लगाए थे एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप

 

सीवीसी जांच की जरूरत उस समय पड़ी जब सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। विवाद बढ़ने पर 23 अक्टूबर को दोनों को छुट्टी पर भेज दिया गया था। सीबीआई  ने अस्थाना के खिलाफ 15 अक्टूबर को शिकायत दर्ज की थी। वहीं, अस्थाना ने वर्मा के खिलाफ कैबिनेट सचिव को 24 अगस्त को शिकायत दी थी।

 

जांच से शुरू हुआ विवाद

 

1984 आईपीएस बैच के गुजरात कैडर के अफसर अस्थाना मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े मामले की जांच कर रहे थे। कुरैशी को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग को आरोपों में पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान हैदराबाद का सतीश बाबू सना भी घेरे में आया। एजेंसी 50 लाख रुपये के ट्रांजैक्शन के मामले में उसके खिलाफ जांच कर रही थी।

सना ने सीबीआई डायरेक्टर को भेजी शिकायत में कहा कि अस्थाना ने इस मामले में उसे क्लीन चिट देने के लिए 5 करोड़ रुपये मांगे थे। इनमें 3 करोड़ एडवांस दिए गए। 2 करोड़ रुपये बाद में देने थे। वहीं, अस्थाना का आरोप है कि सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने ही 2 करोड़ रुपये की रिश्वत ली।

 

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