भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय जजों के पैनल से जस्टिस एनवी रमन्ना ने खुद को अलग कर लिया है। उन्होंने यह कदम आरोप लगाने वाली महिला की आपत्तियों के बाद उठाया है।
शिकायत करने वाली महिला ने सुप्रीम कोर्ट को लिखे पत्र में पैनल में रमन्ना के होने पर सवाल खड़े किए थे। महिला का आरोप है कि रमन्ना और सीजेआई गोगोई खास दोस्त हैं, ऐसे में वे जांच को प्रभावित कर सकते हैं। महिला के मुताबिक, दोनों जजों के पारिवारिक संबंध हैं। ऐसे में निष्पक्ष जांच सवालों के घेरे में है। महिला का आरोप है कि 20 अप्रैल को जब उन्होंने हलफनामा दाखिल किया था तब भी जस्टिस रमन्ना ने आरोपों को खारिज कर दिया था।
बनाया था तीन सदस्यों का पैनल
मंगलवार को जस्टिस एस ए बोबडे के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के जजों की तीन सदस्यीय पैनल में एन वी रमन्ना और इंदिरा बनर्जी को शामिल किया गया था।। जस्टिस बोबड़े रंजन गोगोई के बाद सबसे वरिष्ठ जज हैं। सदस्यों के चुनाव के बारे में जस्टिस बोबडे ने कहा था कि उन्होंने जस्टिस रमन्ना को इसलिए चुना क्योंकि वह उनके बाद सबसे वरिष्ठ जज हैं। वहीं इंदिरा बनर्जी महिला जज होने के कारण पैनल में चुनी गईं।
'साजिश' की जांच करेंगे जस्टिस पटनायक
गुरुवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ 'साजिश' के मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं। कोर्ट ने स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम का गठन किया है, जिसका नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एके पटनायक करेंगे। इसके साथ ही इस मामले की जांच में सीबीआई और आईबी चीफ उनकी मदद करेंगे। कोर्ट ने कहा कि देश की शीर्ष अदालत कुछ ताकतवर और पैसे वाले लोगों की मर्जी से काम नहीं कर सकती। कोर्ट ने चिंता जाहिर की है कि बीते 3-4 सालों से लगातार सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाया जा रहा है।
सीजेआई पर ये हैं आरोप
शीर्ष अदालत की पूर्व कर्मचारी ने 22 पन्नों के एक हलफनामे में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न और घटना के बाद उसके परिवार को परेशान करने का आरोप लगाया है। यह महिला जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के तौर पर काम करती थी। महिला ने आरोप लगाया है कि चीफ जस्टिस ने पिछले साल अक्टूबर 10 और 11 को अपने घर के ऑफिस में 'फायदा' उठाने की कोशिश की। वैसे, जस्टिस गोगोई ने महिला द्वारा लगाए गए इन आरोपों से इनकार किया है।
महिला ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि उसने जस्टिस गोगोई की मांग ठुकरा दी और दफ्तर से बाहर आ गई। इसके बाद 21 अक्टूबर को उसे उसकी नौकरी से निकाल कर दिया गया।