ताजमहल में बाहरी लोगों को नमाज पढ़ने की इजाजत देने से सोमववार को सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि ताजमहल दुनिया के सातवें अजूबों में से एक है। इसलिए यह ध्यान रखना होगा कि ताजमहल के परिसर में नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि यहां कई और जगहें हैं जहां नमाज पढ़ी जा सकती है फिर ताजमहल ही क्यों?
इसी साल यानी 24 जनवरी 2018 को आगरा प्रशासन ने ताजमहल परिसर की मस्जिद में जुमे की नमाज अदा करने से बाहरी लोगों को रोक दिया था। इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, ताजमहल परिसर की मस्जिद में जुमे की नमाज अदा करने से रोकने के आगरा प्रशासन के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका सोमवार को शीर्ष कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में से एक है। लोग दूसरी मस्जिदों में नमाज अदा कर सकते हैं।
हर शुक्रवार ताजमहल के अंदर बनी मस्जिद में होती है नमाज
दरअसल, ताजमहल के अंदर बनी मस्जिद में हर शुक्रवार को जुमे की नमाज अदा की जाती है जिसमें स्थानीय लोग हिस्सा लेते हैं। लेकिन स्थानीय प्रशासन को सूचना मिली कि कुछ बाहरी लोग भी इसमें ले रहे हैं। इससे प्रशासन ने सुरक्षा को लेकर बड़ा खतरा माना और स्थानीय लोगों को ही पहचान पत्र के आधार पर अंदर जाने देनी की इजाजत देने का नियम बना दिया।
आगरा प्रशासन के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी चुनौती
आगरा प्रशासन की ओर से फैसले के खिलाफ कोर्ट में चुनौती दी गई थी। कहा गया था कि मस्जिद सभी मुस्लिमों को नमाज अदा करने का अधिकार है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी को नमाज अदा करने की इजाजत देने से साफ इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में से एक है। हालांकि लोग दूसरी मस्जिदों में नमाज अदा कर सकते हैं।