सासंदों और विधायकों के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में केंद्र सरकार ने जो हलफनामा दिया है उस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। कोर्ट ने मामले में विस्तृत ब्यौरा देने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 5 सितम्बर को होगी।
सांसदों-विधायकों के आपराधिक मामलों की फास्ट ट्रैक कोर्ट गठन को लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि आप नवंबर के आदेश को पढ़िए, हमने आपसे क्या मांगा था? एक नवंबर 2017 से अभी तक वो जानकारी नहीं आई, जो हमने मांगी थी। हमने एक नवंबर के बाद 21 नवंबर को भी जानकारी मांगी थी कि देश के अलग-अलग राज्यों में सांसद-विधायकों के खिलाफ कितने मामले हैं।
11 राज्यों में फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि 11 राज्यों में 12 फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन हो चुका है। दिल्ली में दो और आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल तथा मध्य प्रदेश में एक-एक फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन कर दिया गया है, जो केवल विधायकों और सांसदों के ख़िलाफ़ आपराधिक की सुनवाई करेंगे। कर्नाटक, इलाहाबाद, मध्य प्रदेश, पटना और दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि उन्हें और कोर्ट की जरूरत नहीं है जबकि बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि उन्हें एक और कोर्ट की जरूरत है। फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए 7.80 करोड़ राज्यों को दिया जा रहा है।