सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को असम के नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) समन्वयक प्रतीक हाजेला और रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआइ) शैलेश को एनआरसी मुद्दे पर बयान देने के लिए फटकार लगाई और कहा कि आप अवमानना के मामले में जेल भी जा सकते हैं। जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने इन दोनों को एनआरसी के मुद्दे पर मीडिया से बात करने पर रोक भी लगा दी।।
समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने असम के एनआरसी समन्वयक और आरजीआइ से कहा कि उन्हें भविष्य में एनआरसी के मुद्दे पर मीडिया से बातचीत करने से पहले अनुमति लेनी होगी। कोर्ट ने समाचार पत्रों की खबरों का जिक्र करते हुए मीडिया को बयान जारी करने के इन दोनों के अधिकार पर सवाल उठाए। सर्वोच्च न्यायालय ने आरजीआइ और एनआरसी समन्वयक से कहा कि इस बात को नहीं भूलें कि आप अदालत के अधिकारी हैं। आपका काम आदेशों का पालन करना है। आप कैसे इस तरह से प्रेस में जा सकते हैं।
बेंच ने कहा कि यह कोर्ट की अवमानना है और आपको जेल भेज देना चाहिए। कोर्ट ने एनआरसी समन्वयक और रजिस्ट्रार जनरल को भविष्य में सचेत रहने के लिए कहा। अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी।
गौरतलब है कि शीर्ष न्यायालय की निगरानी में 30 जुलाई को असम में एनआरसी का दूसरा अंतिम मसौदा जारी किया गया था। इसमें 40 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं है। जिसके बाद से काफी विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हैं।
असम में 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ लोगों को नागरिकता के लिए योग्य पाया गया। जबकि 40 लाख लोगों का नाम इस लिस्ट में नहीं था। इस लिस्ट में उन सभी भारतीय नागरिकों को शामिल किया गया, जो राज्य में 25 मार्च, 1971 के पहले से निवास करते थे।