सुप्रीम कोर्ट ने चेन्नई में एक सरकारी अस्पताल में इलाज करा रहे तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी को किसी निजी अस्पताल में स्थानांतरित करने की अनुमति देने संबंधी मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से बुधवार को इनकार कर दिया।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तमिलनाडु परिवहन विभाग में पैसे लेकर नौकरी देने से जुड़े कथित घोटाले के सिलसिले में बालाजी को गिरफ्तार किया है। ईडी ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।
उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि याचिका उच्च न्यायालय में लंबित है। उसने ईडी को उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा।
पीठ ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में टिप्पणियां की हैं और इस अदालत की किसी भी मौखिक टिप्पणी का मामले पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’’ उच्चतम न्यायालय ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए चार जुलाई की तारीख तय की।
सुनवाई शुरू होने पर ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश गलत मिसाल कायम करता है।
तमिलनाडु के बिजली और आबकारी मंत्री बालाजी को ईडी ने पैसे लेकर नौकरी देने से जुड़े कथित घोटाले के सिलसिले में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया है। यह कथित घोटाला तब हुआ था जब वह दिवंगत जे जयललिता के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) सरकार में परिवहन मंत्री थे।
बालाजी को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार करने का आरोप लगाते हुए उनकी पत्नी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश दिया था।