सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक नेता जयललिता की मौत की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग की जांच पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपोलो अस्पताल की याचिका पर यह आदेश जारी किया है।
अस्पताल की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है। जयललिता को चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल में 22 सितंबर 2016 को भर्ती कराया गया था। यहां पर उनका 75 दिनों तक इलाज चला और पांच दिसंबर 2016 को उनकी मौत हो गई थी। जयललिता की मौत के कारणों की जांच के लिए तमिलनाडु सरकार ने 2017 में जस्टिस अरुमुगासामी आयोग का गठन किया था। वहीं, राज्य सरकार की दलील थी कि 90 प्रतिशत पूछताछ खत्म हो गई है।
हाई कोर्ट ने खारिज कर दी याचिका
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपोलो अस्पताल ने नए कमीशन के गठन की मांग करते हुए कहा कि इसमें ऐसे 23 डॉक्टर सदस्य हों, जो जयललिता की देखभाल और इलाज से जुड़े रहे हों। तब तक सुप्रीम कोर्ट की ओर से मौजूदा जांच पर रोक लगाई जाए। इससे पहले मद्रास हाई कोर्ट ने 4 अप्रैल को अपोलो की याचिका को खारिज कर दिया था जिसके खिलाफ अपोलो ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी।
पूर्वाग्रह से ग्रसित होने का लगाया था आरोप
याचिका में अपोलो अस्पताल ने कहा था कि सरकार द्वारा नियुक्त आयोग सभी डॉक्टरों को बुला रहा है। यहां तक कि वो तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और चर्चित अभिनेता एमजी रामचंद्रन की मौत से जुडे कागजात भी मांग रहा है। आयोग अपने दायरे से बाहर जाकर काम कर रहा है। अस्पताल ने दावा किया है कि सरकार की ओर से गठित किया गया जांच आयोग पूर्वाग्रह से ग्रसित है। इस जांच कार्यवाही से अस्पताल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है। याचिका में यह भी मांग की गई थी कि अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों को आयोग के समक्ष उपस्थित होने से छूट दी जाए।