सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव प्रचार के दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए कथित विवादित भाषणों पर चुनाव आयोग से पूछा है कि उनके खिलाफ क्या एक्शन लिया गया।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में आयोग के प्रतिनिधि को मंगलवार को कोर्ट में हाजिर होने के लिए कहा है। जाति और धर्म को लेकर राजनेताओं और पार्टी प्रवक्ताओं के आपत्तिजनक बयानों पर राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए चुनाव आयोग से जवाब तलब किया है।
सिर्फ एडवाइजरी जारी कर सकते हैंः आयोग
चीफ जस्टिस ने चुनाव आयोग से पूछा, आपने इन नेताओ के खिलाफ क्या एक्शन लिया ? इस पर चुनाव आयोग ने जवाब दिया- हम सिर्फ एडवाइजरी जारी कर सकते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता और चुनाव प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए वो चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र को लेकर विचार करेगा।
ये दिया था बयान
देवबंद में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन की एक रैली के दौरान मायावती ने कहा था, 'मुस्लिम मतदाताओं को भावनाओं में बहकर अपने वोट को बंटने नहीं देना है।' इस बयान को लेकर कई पार्टियों ने नाराजगी जाहिर की थी। वहीं इस बयान के जवाब में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी 'बजरंग बली और अली' का जिक्र कर मायावती पर निशाना साधा था।
आयोग ने मांगा था जवाब
इसके बाद पिछले गुरुवार को चुनाव आयोग ने दोनों नेताओं को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। आयोग ने मायावती को जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 123 (3) का उल्लंघन का भी दोषी मानते हुए नोटिस दिया था। इस कानून के तहहत उम्मीदवार धार्मिक आधार पर मतदान की मांग नहीं कर सकते और न मतदाताओं को धर्म के आधार पर मतदान के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।