चार जजों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने चिंता जताई है तथा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से तत्काल मामला सुलझाने के लिए फुल बेंच की बैठक बुलाने का प्रस्ताव पारित किया है।
एसोसिएशन की शाम पांच बजे हुई आपात बैठक में कहा गया कि मीडिया में सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ के जजों के मतभेद की खबरें आई हैं जो वाकई गंभीर चिंता का विषय है। जिसके लिए चीफ जस्टिस को तत्काल फुल बेंच बुलाकर मामला सुलझाना चाहिए। बार एसोसिएशन ने साथ ही यह प्रस्ताव भी पारित किया है कि जनहित याचिकाओं को या तो खुद चीफ जस्टिस देखें या अन्य बेंच को दें दे। 15 जनवरी को लगी जनहित याचिकाओं को हमारे अनुरोध पर ट्रांर्सफर कर दिया जाए।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विकास सिंह का कहना था कि जजों ने पीसी करके कोई ठोस तथ्य पेश नहीं किया। केवल लोगों के दिमाग में शक पैदा किया है जिससे न्यायिक व्यवस्था का कोई हित नहीं होगा। चारों जजों ने जस्टिस लोया को लकेर भी कुछ नहीं कहा। मेरा मानना है कि इसकी पूरी तैयारी नहीं की गई थी और बिना योजना के पीसी कर दी गई।
मालूम हो कि आजाद भारत के इतिहास में यह पहला मौका था, जब सुप्रीम कोर्ट के चार सिटिंग जजों ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया के सामने अपनी बात रखी। जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कूरियन जोसेफ इसमें मौजूद रहे। उनका कहना था कि चीफ जस्टिस चार सबसे सीनियर जजों की बात भी नहीं सुनते। कोर्ट का प्रशासन ठीस के काम नहीं कर रहा जो चीजें होनी चाहिए थे वह नहीं हो पाईँ। स्वतंत्र न्यायपालिका के बिना लोकतंत्र का अस्तित्व भी संभव नहीं है।