जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में पीएचडी के दो छात्रों पर विश्वविद्यालय की अनुशासनात्मक कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए पुलिस ने 10 से अधिक छात्रों को हिरासत में लिया है। एक अधिकारी ने गुरूवार को यह जानकारी दी।
पीएचडी छात्रों को पिछले साल विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए ‘कारण बताओ’ नोटिस दिया गया था। इस कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन सोमवार को शुरू हुआ और छात्रों ने प्रशासन के इस कदम की निंदा की।
विश्वविद्यालय ने दावा किया कि प्रदर्शनकारी छात्रों ने ‘सेंट्रल कैंटीन’ समेत विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और सुरक्षा सलाहकार के कार्यालय का दरवाजा तोड़ दिया, जिससे प्रशासन को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, विश्वविद्यालय ने छात्रों को विरोध प्रदर्शन स्थल से हटाने के लिए पुलिस से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया ताकि कानून- व्यवस्था बरकरार रहे।
पुलिस के एक सूत्र ने कहा, "विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुरोध मिलने के बाद हमने तड़के चार बजे 10 से अधिक छात्रों को विरोध प्रदर्शन स्थल से हटाया। इसके अलावा, हमने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए परिसर के बाहर काफी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए हैं।”
विश्वविद्यालय से प्राप्त एक बयान को साझा करते हुए एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि 10 से अधिक छात्रों को हिरासत में लिया गया है और जांच जारी है।
विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा कि कुछ छात्रों ने विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया और 10 फरवरी की शाम को शैक्षणिक ‘ब्लॉक’ में अवैध रूप से इकट्ठा हुए।
बयान में कहा गया है, "तब से उन्होंने न केवल कक्षाओं के शांतिपूर्ण संचालन में बाधा पहुंचाई है, बल्कि अन्य छात्रों को ‘सेंट्रल लाइब्रेरी’ तक पहुंचने और कक्षाओं में भाग लेने से भी ऐसे समय में रोका है जब मध्य सेमेस्टर परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं।"
प्रदर्शनकारी छात्र प्रदर्शनों में भाग लेने वाले छात्रों के खिलाफ भविष्य में कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करने की मांग कर रहे हैं।
विश्वविद्यालय की अनुशासन समिति 25 फरवरी को बैठक करेगी, जिसमें 15 दिसंबर 2024 को "जामिया प्रतिरोध दिवस" के आयोजन में पीएचडी के दो छात्रों की भूमिका की समीक्षा की जाएगी। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ 2019 में हुए प्रदर्शनों की बरसी पर हर साल “जामिया प्रतिरोध दिवस” मनाया जाता है।