महाराष्ट्र पुलिस और राज्य सरकार को पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के मामले में बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस द्वारा परमबीर के खिलाफ दर्ज पांच आपराधिक मामलों की जांच सीबीआई का सौंप दी है। साथ ही कहा कि अगर आगे एफआईआर दर्ज की जाती है, तो उसे सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया जाए। अदालत ने राज्य पुलिस से इन केसों को एक हफ्ते के भीतर सीबीआई को सौंपने और एजेंसी के साथ सहयोग करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह परमबीर सिंह का निलंबन रद्द नहीं कर रहा है।
न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि इस मामले की जांच किसे करनी चाहिए, इस पर सत्ता के शीर्ष स्तर के बीच एक बहुत ही अस्पष्ट स्थिति जारी है। राज्य पुलिस में लोगों का विश्वास फिर से बहाल करने के लिए गहन जांच की जरूरत है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम इस तर्क को स्वीकार करने में असमर्थ हैं कि याचिकाकर्ता के खिलाफ शिकायत करने वालों द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। हमारा विचार है कि राज्य को ही सीबीआई को जांच करने की अनुमति देनी चाहिए थी।’’
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘प्रथमदृष्टया हमारा विचार है कि कुछ मामलों में सीबीआई द्वारा जांच की आवश्यकता है। सच्चाई क्या है, किसकी गलती है, इस तरह का परिदृश्य कैसे बना, इसकी जरूर जांच होनी चाहिए। सीबीआई को इन सभी पहलुओं की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए।’’
अदालत ने कहा कि वह आरोपों के गुण-दोष पर टिप्पणी नहीं कर रही है क्योंकि वह नहीं चाहती कि जांच किसी भी तरह से प्रभावित हो। पीठ ने कहा, ‘‘हम नहीं चाहते कि जांच इस अदालत की टिप्पणी से प्रभावित हो। कोर्ट ने इसे एक सेवा विवाद के रूप में माना है, जो यह नहीं है और इस प्रकार हम उच्च कोर्ट के फैसले को खारिज करते हैं। हम अपील की अनुमति देते हैं और निर्देश देते हैं कि पांच प्राथमिकियों की जांच सभी रिकॉर्ड के साथ सीबीआई को स्थानांतरित की जाए।
अदालत के आदेश को राज्य सरकार के लिए झटका माना जा रहा है। परमबीर सिंह के बयानों के कारण ही राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी। परमबीर ने देशमुख पर 100 करोड़ की वसूली करवाने का आरोप लगाया था।