दिल्ली सरकार के नौ सलाहकारों को हटाए जाने के बाद डिप्टी सीएम और एजुकेशन मिनिस्टर मनीष सिसोदिया ने नाराजगी जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक लंबी चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में सिसोदिया ने एक तरफ जहां शिक्षा को लेकर अपने कामकाज की तारीफ की है, तो वहीं केंद्र सरकार पर शिक्षा विभाग के खिलाफ साजिश रचने का आरोप भी लगाया है।
पिछले तीन सालों में दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में हुए बदलावों की जानकारी देते हुए मनीष सिसोदिया ने पीएम को लिखा कि शिक्षा को समझने और नया सोचने की क्षमता रखने वाले सलाहकार सरकार के साथ काम कर रहे थे, लेकिन कुछ दिन पहले अचानक आपने मेरी सलाहकार आतिशी मार्लेना को बर्खास्त कर दिया, जिनकी मदद से सरकारी स्कूलों का कायाकल्प हुआ है।
पीएम मोदी को दिल्ली के सरकारी स्कूलों को देखने का दिया न्योता
सिसोदिया ने पीएम को स्कूलों को देखने का न्योता देते हुए कहा, ‘मैं आपको निमंत्रण देता हूं कि आप दिल्ली के स्कूलों को देखने के लिए किसी भी दिन मेरे साथ सरकारी स्कूलों में चलिए। मैं आपको दिखाना चाहता हूं कि अच्छे स्कूल बनवाने से देश के बच्चों के चेहरों पर कितनी खुशी झलकती है।’
उन्होंने कहा, ‘मैं आपको दिखाना चाहता हूं कि दिल्ली की शिक्षा में हमने क्या बदलाव किया है। राष्ट्रपति पद पर रहते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी मेरे निमंत्रण पर दो बार दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आ चुके हैं और मेरे अनुरोध पर उन्होंने सरकारी स्कूलों में इतिहास की क्लास की पढ़ाई भी कराई। मैं आपको भी निमंत्रण देता हूं कि दिल्ली के सरकारी स्कूल और कॉलेजों में खुले मन से आइए और फिर देश भर में ऐसे ही खूब सारे स्कूल बनवाइए।
पीएम अगली बार जब ‘ध्यान’ करें तो शहर के बच्चों के बारे में सोचें
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि आतिशी मार्लेना को उनके सलाहकार पद से हटाने से उन गरीब लोगों की उम्मीदों का अंत हो गया जो अपने बच्चों को पढ़ने के लिए सरकारी स्कूलों में भेजते हैं। उन्होंने कहा कि ‘आप’ सरकार ने दिल्ली के शिक्षा क्षेत्र में जिन शानदार विचारों का कार्यान्वयन किया, उनका श्रेय मार्लेना को जाता है और प्रधानमंत्री अगली बार जब ‘ध्यान’ करें तो शहर के बच्चों के बारे में सोचें।
मनीष सिसोदिया ने गिनाईं उपलब्धियां
डिप्टी सीएम ने अपनी चिट्ठी में कहा, ‘दिल्ली सरकार को केंद्र से क्या समर्थन मिला है, इसके बारे में सबको पता है। लेकिन उसके बावजूद हमने शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और बिजली के क्षेत्रों में काफी काम किया।’ दिल्ली सरकार ने अपने स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार किया, जवाबदेही तय की, उत्कृष्टता से भरे स्कूल खोले और क्षेत्र में काफी काम किया।
अगर आप हमें कुछ दे नहीं सकते तो, जो हो रहा है उसे रोकिए मत
इसके साथ ही, डिप्टी सीएम ने एक बार फिर पीएम पर तंज कसते हुए कहा, लोग कहते हैं आप योगी हैं। ध्यान-योग करते हैं। अबकी बार ध्यान में बैठें तो दिल्ली के बच्चों के चेहरों को ध्यान में रखिएगा। उनका आपसे सवाल है, अगर आप हमें कुछ दे नहीं सकते तो, जो हमारे लिए हो रहा है उसे रोकिए मत।
अच्छी शिक्षा मुश्किल से सिर्फ 5% बच्चों के लिए ही उपलब्ध है
मनीष सिसोदिया के मुताबिक, आज हमारे देश में शिक्षा के कई बेहतरीन स्कूल और संस्थान मौजूद हैं लेकिन समस्या यह है कि अच्छी शिक्षा मुश्किल से सिर्फ 5 प्रतिशत बच्चों के लिए ही उपलब्ध है। बाकी 95 प्रतिशत बच्चों की शिक्षा के हालात बेहद खराब हैं, उसका कोई न्यूनतम पैमाना ही नहीं है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आने वाले अधिकतर बच्चे इसी 95 प्रतिशत आबादी से आते हैं। वे गरीब हैं, अधिकतर माता-पिता स्कूल नहीं गए, मुश्किल से मेहनत मजदूरी करके घर चलाते हैं। इसमें भी ज्यादा मुश्किल लड़कियों को होती है।
शिक्षा का बजट करीब 25 प्रतिशत बनाए रखा
डिप्टी सीएम ने कहा, ‘मैंने देखा है कि थोड़ा भी साधन उपलब्ध होने पर कई माता-पिता अपने बेटे को तो प्राइवेट स्कूल में भेजते हैं पर बेटी को पैसे की कमी के कारण सरकारी स्कूल में मुफ्त शिक्षा दिलाने का फैसला करते हैं। इन परिवारों के बेटे और बेटियों के लिए सरकारी स्कूल में बेहतरीन शिक्षा उपलब्ध कराना ही हमारे लिए सच्ची देशभक्ति है। हमारे लिए सही मायने में यही विकास है। इसी विजन पर काम करते हुए हमने दिल्ली में लगातार पिछले 3 साल से शिक्षा का बजट कुल बजट का करीब 25 प्रतिशत बनाए रखा है।
अध्यापकों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग के लिए भेजा
इस बजट से हमने सरकारी स्कूलों में हजारों शानदार क्लासरूम बनवाए हैं, उनकी बिल्डिंग ठीक करवाई है. साफ-सफाई की अच्छी व्यवस्था की है। अध्यापकों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन व सिंगापुर आदि देशों में भेजा है। जो बच्चे अपनी किताबें भी ठीक से नहीं पढ़ पाते, उनके लिए चुनौती, मिशन बुनियाद जैसे सफल कार्यक्रम आयोजित किए हैं। स्कूलों में आपस में सीखने का वातावरण बनाने के लिए मेंटर टीचर प्रोग्राम शुरू किया है।
दिल्ली के पांच स्कूलों में शुरू किए गए ‘स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’
माता-पिता की भूमिका और बढ़ाने के लिए लगातार मेगा-पीटीएम आयोजित की है। पढ़ाने और परीक्षा लेने के तौर-तराकों में बुनियादी परिवर्तन किए हैं। हाल ही में दिल्ली में 5 स्कूल ऑफ एक्सीलेंस शुरू किए हैं, जो गरीब लोगों के बच्चों को सरकारी स्कूल में मिल सकने वाली सुविधाओं और पढ़ाई के स्तर का एक मॉडल है।
सरकारी स्कूलों की काया पलटने लगी है
सिसोदिया ने चिट्ठी में लिखा, हमारे देश में शिक्षा की व्यवस्था में निर्णय लेने वाले, योजना बनाने वाले और उन्हें अमल में लाने वाले शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव या शिक्षा निदेशक में से किसी का भी शिक्षा विशेषज्ञ होना अथवा शिक्षा अनुभवी होना आवश्यक नहीं है। मेरी राय में देशभर में सरकारी स्कूल सिस्टम के डूबने का एक बड़ा कारण यही है। हमने दिल्ली सरकार में इसलिए आतिशी मार्लिना जैसी सुशिक्षित एवं अनुभवी महिला को शिक्षा सलाहकार के रूप में रखा। इसके नतीजे भी सामने आए। आज पूरे देश में हमारे सबसे कट्टर विरोधी भी इस बात को मानते हैं कि दिल्ली सरकार ने 3 साल में शिक्षा पर बेहतरीन काम किया है और सरकारी स्कूलों की काया पलटने लगी है।
राजनीतिक विरोध के कारण बच्चों की शिक्षा में लगे लोगों को हटाना कौन-सी देशभक्ति
सिसोदिया ने तंज कसते हुए कहा, ‘मुझे आश्चर्य है कि आपकी सरकार ने एक झटके में जिस तरह आतिशी मार्लीना को दिल्ली के शिक्षा मंत्री की सलाहकार पद से हटाने का आदेश जारी किया, उससे आप क्या हासिल करना चाहते हैं? आपके हमसे राजनीतिक विरोध हो सकते हैं लेकिन दिल्ली के बच्चों से तो नहीं। दिल्ली के बच्चे भी इसी देश के बच्चे हैं आप जब अपने आप को देशभक्त कहते हैं तो दिल्ली के बच्चों के बिना आपकी देशभक्ति कैसे पूरी हो सकती है? राजनीतिक विरोध के कारण उनकी शिक्षा की बेहतरी में लगे लोगों को हटाना कौन-सी देश भक्ति है?
शिक्षा मंत्री के सलाहकार को हटाकर आपने बच्चों की शिक्षा मिटाने की कोशिश की
अंत में सिसोदिया ने अपनी चिट्ठी में एक बार फिर पीएम पर हमला बोलते हुए कहा, प्रधानमंत्री जी! मेरा आपसे अनुरोध है कि लकीर के सामने बड़ी लकीर खींचकर बड़ा बनिए। सामने वाले को साम-दाम-दण्ड-भेद से मिटाने से आप बड़े नहीं बन सकते। आतिशी मार्लिना को दिल्ली की शिक्षा मंत्री के सलाहकार से हटाकर आपने मुझे नहीं, दिल्ली के बच्चों के भविष्य को भी मिटाने की कोशिश की।