सरकार बुजुर्गों का ख्याल रखने के लिए खास फैसला लेने जा रही है। मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 के तहत सरकार बुजुर्गों की देखभाल की परिभाषा को विस्तृत करने की तैयारी में है। माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के रखरखाव और कल्याण (संशोधन) विधेयक, 2019 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दे दी गई है। जल्द ही इसके संसद में पेश किए जाने की संभावना है।
नोडल अधिकारी नियुक्त करना जरूरी
बदले हुए प्रस्ताव में गोद लिए गए बच्चे, सौतेले बेटे और बेटियों के साथ दामाद और बहू को भी शामिल किया गया है। बुजुर्गों तक पहुंच बनाने के लिए प्रत्येक पुलिस थाने को एक नोडल ऑफिसर नियुक्त करना होगा। कानून के मुताबिक अगर दामाद और बहुएं वृद्ध सास-ससुर की देखभाल करने में विफल रहती हैं और रखरखाव के लिए यदि पैसे नहीं देती हैं तो उनके लिए भी सजा का प्रावधान है।
नए संशोधन में जो ज्यादा कमाते हैं उन्हें अपने माता-पिता को देखभाल के लिए ज्यादा पैसे देने होंगे। कानून का उल्लंघन करने वालों को कम से कम 5,000 रुपये का जुर्माना या तीन महीने की जेल या दोनों सजा हो सकती है।
80 साल से ज्यादा के बुजुर्गों की शिकायत को प्राथमिकता
विधेयक में जोड़ी गई कुछ विशेषताओं में 80 वर्ष से अधिक उम्र के उन वरिष्ठ नागरिकों की शिकायत को प्राथमिकता देने की बात कही गई है, जिनके बच्चे उनकी उपेक्षा करते हैं या सही ढंग से उनकी देखभाल नहीं करते हैं।
होम केयर एजेंसियों को कराना होगा पंजीकरण
अब सभी वरिष्ठ नागरिकों के घरों / होम केयर सर्विस एजेंसियों को संबंधित अधिकारियों के पास खुद को पंजीकृत करना होगा। विधेयक के मसौदे के अनुसार अब सीनियर सिटीजंस होम के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित होंगे। साथ ही हर राज्य को एक हेल्पलाइन नंबर बनाना होगा ताकि वरिष्ठ नागरिक अपनी समस्याएं साझा कर सकें।
बिल में ‘रखरखाव’ के अंतर्गत माता-पिता की सुरक्षा के अलावा उनके भोजन, कपड़े, आवास और स्वास्थ्य देखभाल दायित्वों को शामिल किया गया है। यदि बहू या दामाद द्वारा वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा की जाती है या उचित रखरखाव नहीं किया जाता तो वे न्याय के लिए मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल जा सकते हैं।