सरकार ने प्रतिष्ठित आइआइटी संस्थानों में एमटेक की फीस कई गुना बढ़ाकर दो लाख रुपये करने का फैसल किया है। हालांकि यह वृद्धि एक साथ नहीं बल्कि अगले कुछ वर्षों में की जाएगी। फीस बढ़ाने का अंतिम फैसला आइआइटी काउंसिल द्वारा लिया जाएगा। भले ही फीस वृद्धि के लिए कई तर्क दिए जा रहे हों लेकिन इसके खिलाफ विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं।
दो लाख रुपये होगी ट्यूशन फीस
इस समय आइआइटी 20,000 से 50,000 रुपये तक ट्यूशन फीस लेते हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने फीस बढ़ाकर दो लाख रुपये करने का फैसला किया है। आइआइटी काउंसिल ने पहले सिफारिश की थी कि सभी आइआइटी संस्थानों में फीस एक समान होनी चाहिए और एमटेक की फीस बीटेक के बराबर ही होनी चाहिए।
मौजूदा छात्रों को राहत
इस समय आइआइटी में एमटेक की पढ़ाई कर रहे छात्रों को फीस वृद्धि से मुक्त रखा गया है। सरकार ने फीस बढ़ाने का फैसला आइआइटी के एमटेक प्रोग्राम में सुधार के लिए बनी तीन सदस्यीय कमेटी की सिफारिशों पर लिया है।
50 फीसदी छात्र बीच में ही छोड़ जाते हैं
फीस बढ़ाने के पक्ष में तर्क दिए जा रहे हैं। इनमें सबसे प्रमुख तर्क है कि फीस कम होने के कारण ऐसे छात्र प्रवेश ले लेते हैं जो कोर्स करने के लिए गंभीर नहीं हैं। पिछले कई वर्षों से फीस बढ़ाई नहीं गई है। वे प्रवेश लेने के बाद प्रतियोगी परीक्षा में चयन या फिर आकर्षक नौकरी लगने के बाद बीच में ही छोड़कर चले जाते हैं। जिससे इस प्रतिष्ठित कोर्स की सीट खाली रह जाती है। अनुमान के तौर पर करीब 50 फीसदी सीटें खाली हो जाने से बर्बाद हो जाती है। जबकि प्रतिभाशाली दूसरे छात्र प्रवेश पाने से वंचित रह जाते हैं।
गरीब छात्रों को मिलती रहेगी मदद
गरीब और प्रतिभाशाली छात्रों को इससे परेशानी नहीं होने दी जाएगी। छात्रों के लिए सीमित संख्या में छात्रवृत्तियां दी जाती हैं। यह सुविधा आगे भी जारी रहेगी। इसके अलावा निर्धन वर्ग के छात्रों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिये सरकारी मदद दी जाएगी या फिर उन्हें एजूकेशन कर्ज दिलाया जाएगा।
प्राइवेट संस्थानों की तरह फीस बढ़ाना अनुचित
लेकिन फीस बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध भी शुरू हो गया है। भुवनेश्वर के छात्रों और फैकल्टी ने इस फैसले का विरोध किया है। सरकारी संस्थानों में भी प्राइवेट संस्थानों की तरह फीस बढ़ोती होती है तो अंतर क्या रहेगा। नौ गुना तक फीसद बढ़ाना किसी भी स्थिति में ठीक नही है।
दूर नहीं होगी सीटें खाली होने की समस्या
अगंभीर छात्रों को हतोत्साहित करने के लिए फीस वृद्धि के तर्क को खारिज करते हुए विरोध करने वालों का कहना है कि फीस बढ़ाने के भी खाली सीटों की समस्या दूर नहीं होगी। आकर्षक नौकरी या प्रतियोगी परीक्षा में चयन के बाद छात्र बीच में ही पढ़ाई छोड़कर जाएंगे ही।
फिर कहां जाएंगे गरीब छात्र
एक शिक्षाविद प्रीतीश आचार्य ने कहा कि सीमित आय वाले परिवारों के छात्र प्राइवेट संस्थानों के बजाय आइआइटी में इसलिए आते हैं क्योंकि सरकारी संस्थान होने के कारण यहां फीस कम है। प्राइवेट संस्थानों की तरह ऊंची फीस होने के बाद उनके लिए समस्याएं पैदा होंगी।