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आम्रपाली ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट से फिर झटका, 9 संपत्तियां सील करने का आदेश

आवासीय परियोजनाएं पूरा करने में नाकाम रहने और खरीदारों को फ्लैट नहीं देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट...
आम्रपाली ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट से फिर झटका, 9 संपत्तियां सील करने का आदेश

आवासीय परियोजनाएं पूरा करने में नाकाम रहने और खरीदारों को फ्लैट नहीं देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट लगातार आम्रपाली ग्रुप के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आम्रपाली रियल एस्टेट की 9 प्रॉपर्टी सील करने का आदेश दिया है। ये वही प्रॉपर्टी हैं जिनसे जुड़ी ऑडिट रिपोर्ट ग्रुप को जमा करना था। ये संपत्तियां ग्रेटर नोएडा, राजगीर और बक्सर में हैं। इससे पहले ग्रुप के तीन डायरेक्टर हिरासत में लिए गए थे, जिन्होंने बताया कि ग्रुप की 46 कंपनियों से जुड़े दस्तावेज इन जगहों में रखे हुए हैं।

तीन डायरेक्टर हिरासत में

शीर्ष अदालत ने मंगलवार को ग्रुप के तीन डायरेक्टर को पुलिस हिरासत में भेजते हुए समूह की सभी 46 कंपनियों के सारे दस्तावेज फोरेंसिक ऑडिटर्स को सौंपने के निर्देश दिए थे।

जस्टिस अरुण मिश्रा और यूयू ललित की पीठ ने कहा था कि जब तक फोरेंसिक ऑडिटर्स को सारे दस्तावेज सौंपे नहीं जाते तब तक तीनों डायरेक्टर पुलिस हिरासत में रहेंगे। हिरासत में भेजे गए डायरेक्टर हैं- अनिल कुमार शर्मा, शिव प्रिया और अजय कुमार। अदालत का यह आदेश उन खरीदारों की अर्जी पर आया है, जिन्होंने समूह की परियोजनाओं में करीब 42 हजार फ्लैट बुक कर रखे हैं।

लुका-छिपी का खेल न खेले आम्रपाली ग्रुप: सुप्रीम कोर्ट

अदालत ने आम्रपाली समूह द्वारा सारे दस्तावेज फोरेंसिक आडिटर्स को सौंपने में आनाकानी किए जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की और कहा कि इन निदेशकों का आचरण उसके आदेशों का घोर उल्लंघन है। पीठ ने कहा, “आप लुका छिपी खेल रहे हैं। आप न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।” न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को आम्रपाली समूह के सारे दस्तावेज जब्त कर उन्हें फोरेंसिक आडिटर्स को सौंपने का निर्देश दिया। न्यायालय ने जोर देकर कहा कि इन कंपनियों का एक भी दस्तावेज आम्रपाली समूह के पास नहीं रहना चाहिए।

कोर्ट ने एनबीसीसी को दिए निर्देश, 60 दिन के अंदर दें रिपोर्ट

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह की ठप पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एनबीसीसी को निविदाएं पेश करने की अनुमति दी थी। एनबीसीसी से 60 दिन के अंदर लंबित पड़ी परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने को भी अदालत ने कहा है। 46,575 फ्लैट वाली 15 आवासीय परियोजनाओं को छह से 36 महीने में पूरा करने के लिए एनबीसीसी 8,500 करोड़ रुपये के अनुमानित खर्च का प्रस्ताव भी पेश कर चुका है। शीर्ष अदालत ने ठप पड़े प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 12 सितंबर को एनबीसीसी को नियुक्त किया था।

16 संपत्तियां नीलाम करने या बिक्री का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने ऋण वसूली ट्रिब्यूनल को आम्रपाली की 16 संपत्तियों की नीलामी या बिक्री का आदेश भी दिया था। इन संपत्तियों की बिक्री से 1,600 करोड़ रुपये इकट्ठा होने का अनुमान है। कोर्ट ने कहा था कि वह तय करेगा कि कैसे इस रकम का इस्तेमाल अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने में होगा। गौरतलब है कि आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी अनिल शर्मा राजनीति में भी हाथ आजमा चुके हैं। 2014 में जदयू के टिकट पर उन्होंने बिहार के जहानाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि वे जीतने में असफल रहे थे।

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