भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली किसी भी नई याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने सोमवार और मंगलवार को सभी नई याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि वह एक ही मुद्दे पर "सैकड़ों" याचिकाओं पर विचार नहीं कर सकती।
मंगलवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने अपने पिछले रुख को दोहराया और कहा कि वह वक्फ अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली किसी भी नई याचिका पर विचार नहीं करेगी।
मंगलवार को कोर्ट ने कम से कम 13 याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। लाइव लॉ के अनुसार सीजेआई ने कहा, "उनमें से कुछ [याचिकाएं] कॉपी पेस्ट की गई हैं.....अगर आपके पास कोई अतिरिक्त आधार है जो पहले से नहीं उठाया गया है, तो अभियोग आवेदन दायर करें।"
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि अगर जरूरत हो तो वे हस्तक्षेप आवेदन दायर करें, जिस पर 5 मई, 2025 को बाकी पांच मामलों के साथ सुनवाई होगी। सीजेआई ने सोमवार को कहा, "हमने 17 अप्रैल को एक आदेश पारित किया था जिसमें कहा गया था कि केवल पांच याचिकाओं पर ही सुनवाई होगी।" उन्होंने आगे कहा, "अगर याचिकाकर्ता को सलाह दी जाती है तो वह लंबित याचिकाओं में आवेदन दायर कर सकते हैं।"
वक्फ (संशोधन) कानून, 2025 के खिलाफ एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), जमीयत उलमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), कर्नाटक स्टेट बोर्ड ऑफ एयूक्यूएएफ के पूर्व अध्यक्ष अनवर बाशा और अन्य सहित कुल 72 याचिकाएं दायर की गई थीं। मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्र से जवाब मांगा। जिस पर केंद्र सरकार ने विधेयक का बचाव किया और सुप्रीम कोर्ट से याचिकाओं को खारिज करने का अनुरोध किया।