स्वराज अभियान के ‘जय किसान आंदोलन’ ने किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह शुरू करने वाला है, जो 14 मार्च से शुरू होगा। केंद्र सरकार द्वारा तय किया गया एमएसपी किसानों को न्यूनतम मूल्य देने की निश्चित गारंटी देता है जो किसान को मंडियों में अनाज के दाम नहीं मिलने पर न्यूनतम दाम देने की गारंटी देता है।
स्वराज अभियान के मुताबिक, मौजूदा सिस्टम में किसानों को उचित और लाभकारी आमदनी सुनिश्चित करने के लिए एमएसपी एक प्रभावी औजार है।
स्वराज अभियान के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा, एमएसपी सत्याग्रह गांधीवादी सत्याग्रह की सच्ची भावना पर आधारित एमएसपी के बारे में सच की सामूहिक खोज करना है। इस काम में कार्यकर्ताओं, अधिकारी और विशेष रूप से मीडिया को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाता है। उन्होंने कहा, 'केवल चने की फसल में इस सीजन में किसानों को 6087 करोड़ रुपए का नुकसान होने की संभावना है।'
स्वराज अभियान के राष्ट्रीय संयोजक अविक साहा ने कहा कि एमएसपी सत्याग्रह कर्नाटक के यादगीर से शुरू होगा वहां से अलग अलग मंडियों में जाएगा और किसानों को एमएसपी के कानूनी अधिकार के बारे में जागरूक करेगा ताकि उसकी लूट को रोका जा सके। पहले चरण के राज्यों में कर्नाटक, आंध्र, तेलंगाना, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं
स्वराज अभियान का कहना है, ‘2018 के बजट भाषण में वित्त मंत्री ने विशेष जोर देकर किसानों को एमएसपी पर बिक्री सुनिश्चित करने की केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता जाहिर की थी। घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा था कि उनकी सरकार ने अपने चुनावी वादे के मुताबिक़ रबी के अधिकांश फसलों के लिए पहले ही MSP लागू कर दिया है, जो लागत कीमतों पर कम-से-कम 50% रिटर्न पर आधारित है। रबी और खरीफ़ के शेष फसलों के लिए भी घोषणा का आश्वासन दिया गया। हालांकि किसान संगठनों ने पहले ही इसे अधूरा बताकर MSP के दावे को उजागर कर दिया है। बाद में श्री जेटली ने भी स्वीकार किया कि वह जिस लागत की बात कर रहे हैं वह सी 2 यानि (Comprehensive C 2) लागत नहीं बल्कि आंशिक लागत ए2+एफएल (A2+FL) पर आधारित है।‘
स्वराज अभियान के मुताबिक, 'वित्त मंत्री और बाद में प्रधानमंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि मौजूदा एमएसपी पर्याप्त नहीं है, तथा किसानों को घोषित एमएसपी का पूरा लाभ मिलना चाहिए। किसानों को एमएसपी दिलाने के लिए इस साल सरकार सभी प्रकार के कदम उठा रही है। वित्त मंत्री ने यह भी वादा किया कि यदि बाजार में कृषि उत्पाद की कीमत एमएसपी से कम है, तो सरकार स्वयं एमएसपी पर खरीद करेगी या किसी अन्य तंत्र के जरिये किसानों को एमएसपी का दाम दिलाएगी। नीति आयोग, केंद्र और राज्य सरकारों के परामर्श से एक प्रभावी मैकेनिज्म बनायेगा ताकि किसानों को उनके उत्पादन के लिए पर्याप्त मूल्य मिले।'
स्वराज अभियान का कहना है कि रबी फसल 2018-19 की बिक्री शुरू होने के साथ ही इस वादे की परीक्षा भी शुरू होती है। खरीफ फसल 2017-18 की बिक्री का विश्लेषण दर्शाता था कि किसान अपनी फसल एमएसपी से नीचे बेचने को मजबूर थे। जिससे किसानों को कम से कम 32,702 करोड़ रुपये का कुल नुकसान हुआ था।