1983 में भारतीय क्रिकेट टीम को पहली बार विश्व कप दिलाने वाली टीम ने पहलवानों को समर्थन दिया है। 28 मई को महिला पहलवानों के साथ ही हुई हाथापाई और दुर्व्यवहार के खिलाफ भारतीय टीम के खिलाड़ियों ने आवाज उठाई है। संयुक्त बयान जारी खिलाड़ियों ने कर कहा कि चैंपियन पहलवानों के साथ मारपीट से व्यथित और परेशान हैं।
विश्व कप विजेता टीम ने पहलवानों के विरोध प्रदर्शन पर बयान जारी किया किया है। खिलाड़ियों ने कहा, "हम अपने चैंपियन पहलवानों के साथ मारपीट के अशोभनीय दृश्यों से व्यथित और परेशान हैं। हमें सबसे अधिक चिंता इस बात की भी है कि वे अपनी मेहनत की कमाई को गंगा नदी में बहाने की सोच रहे हैं।"
टीम का कहना है कि उन पदकों में वर्षों का प्रयास, बलिदान, संकल्प और धैर्य शामिल है और वे न केवल उनके अपने बल्कि देश के गौरव और आनंद हैं। हम उनसे आग्रह करते हैं कि वे इस मामले में जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें और यह भी आशा करते हैं कि उनकी शिकायतों को सुना जाएगा और जल्दी से हल किया जाएगा। देश के कानून को चलने दो।"
विजेता टीम के सदस्य, मदन लाल से ने कहा कि दिल दहला देने वाला है कि उन्होंने अपने पदक फेंकने का फैसला किया। हम उनके पदक फेंकने के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि पदक अर्जित करना आसान नहीं है और हम सरकार से इस मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाने का आग्रह करते हैं।
बजरंग पुनिया, विनेश फोगट और साक्षी मलिक सहित कई दिग्गज पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख बृज भूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।