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सार्क देशों के छात्रों के लिए बनाई गई साउथ एशिया यूनिवर्सिटी को नई ऊंचाइयों पर ले जाना ही लक्ष्यः प्रोफेसर अग्रवाल

यूं तो पेशे से इंजीनियर और कुशल शिक्षाविद प्रोफेसर के के अग्रवाल किसी नाम के मोहताज नहीं है। शिक्षा...
सार्क देशों के छात्रों के लिए बनाई गई साउथ एशिया यूनिवर्सिटी को नई ऊंचाइयों पर ले जाना ही लक्ष्यः प्रोफेसर अग्रवाल

यूं तो पेशे से इंजीनियर और कुशल शिक्षाविद प्रोफेसर के के अग्रवाल किसी नाम के मोहताज नहीं है। शिक्षा जगत में उनका नाम जगजाहिर है। आईपी यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर अग्रवाल को इसी खासियत के चलते हाल में साउथ एशियन यूनिवर्सिटी (एसएयू) का प्रेसिडेंट बनाया गया है। यूनिवर्सिटी की योजनाओं को लेकर उनका अपना विजन है। उनका कहना है कि इस यूनिवर्सिटी को नई उचाइयों तक ले जाएंगे। सार्क देशों के छात्रों के लिए बनाई गई इस यूनिवर्सिटी को दुनिया की चुनिंदा यूनिवर्सिटी की सूची में शामिल कराएंगे। इस संवाददाता ने उनसे इसी मुद्दे पर लंबी बातचीत की।

प्रश्न- यूनिवर्सिटी के विकास के लिए आपकी क्या योजनाएँ हैं?

उत्तर- यूनिवर्सिटी में भारत की भागीदारी सबसे ज्यादा है तो जाहिर है जिम्मेदारी भी ज्यादा है। वैसे तो यूनिवर्सिटी दिल्ली में लंबे समय से चल रही है लेकिन यूनिवर्सिटी का हाल में दिल्ली के मदनगीर में सौ एकड़ में नया कैंपस बना है। अभी 650 छात्र पढ़ रहे हैं। इनकी संख्या दो से ढाई तक बढ़ाने की है। इसके अलावा मेडिकल और इंटीग्रेटेड कोर्स को बढ़ावा देने की है।

प्रश्न- पिछले कई वर्षों से यूनिवर्सिटी को छात्रों एवं संकाय सदस्यों के विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा है। कैम्पस में हालात सामान्य करने के लिए आप क्या करेंगे?

उत्तर- ये सुनने में आया है कि पिछले कई सालों से इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ा लेकिन इस तरह की समस्याओं को जल्द ही बातचीत के जरिए सुलझा लिया जाएगा। वैसे भी चार सालों से प्रेसिडेंट का पद खाली पडा था और यह पद भर जाने से यूनिवर्सिटी के स्तर पर सुधार लाना ही मेरी जिम्मेदारी है।

प्रश्न- यूनिवर्सिटी का मुख्य फ़ोकस शोध पर है। क्या आपको नहीं लगता कि यूजी और पीजी प्रोग्राम को भी समान रूप से जबज्जो देने की ज़रूरत है?

उत्तर- हां, ये आपने ठीक कहा। यूनिवर्सिटी का फोकस शोध पर है लेकिन अब यूजी वगैरा शुरु करने की योजना है। वैसे भी ये यूनिवर्सिटी सार्क देशों के उन बच्चों को बढ़ावा देने की है जो कम खर्च में अच्छी शिक्षा हासिल कर सकें। अभी भी शोधार्थी छात्रों को स्कालरशिप दी जाती है।

प्रश्न-नए सत्र के लिए यूनिवर्सिटी की दाख़िला प्रक्रिया शुरू होने वाली है। इस साल नया क्या है? क्या कुछ नए प्रोग्राम भी शुरू हो रहे हैं?

उत्तर- यूनिवर्सिटी में जल्द ही कुछ विषयों को शुरु किया जाएगा जिसमें अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, अंतरराष्ट्रीय संबंध, गणित, कंप्यूटर साइंस, ब़ॉयो टेक्नोलॉजी शामिल है। इसके अलावा मेडिकल, भाषाएं, फिजिक्स, केमेस्ट्री और लिबरल आर्ट भी योजनाओं में शामिल है।

प्रश्न- सार्क देशों एवं अन्य देशों के आवेदकों को अधिक से अधिक आकर्षित करने की क्या योजनाएँ हैं?

उत्तर- सार्क देशों की कुछ कॉमन समस्याएं है जिसके आधार पर कोर्स शुरु किए जा सकते हैं। जैसे क्लाइमेच चेंज, आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस और नेनो टेक्नोलॉजी जैसे विषयों को रखा जा सकता है। ताकि अधिक से अधिक आवेदक आ सके। सभी देशों के मूल्यों से जुड़ी शिक्षा पर भी बल दिया जाएगा। अभी भी यहां शोधार्थियों पर फोकस है जो पूरे विश्व में अपना योगदान देते हैं।

प्रश्न- इस यूनिवर्सिटी को विश्वस्तरीय यूनिवर्सिटी बनाने के लिए आप क्या करेंगे?

उत्तर- जिसे मकसद से यह यूनिवर्सिटी शुरू की गई है, उसे पूरा करने के लिए बाकी देशों से समन्वय बनाएंगे। अभी दिल्ली में इसका केंद्र बना है और अन्य देशों में इस तरह के परिसर खोलने पर बल दिया जाएगा ताकि विश्व स्तर पर इसका नाम हो सके।

प्रश्न-यह यूनिवर्सिटी अब अपने नए परिसर में शिफ़्ट हो गई है। यहाँ क्या- क्या सुविधाएँ होंगी?

उत्तर- अभी छात्रों के मौजूदा हास्टल का विस्तार किया जाएगा ताकि उन्हें बाहर न रूकना पड़े। परिसर में स्विमिंग और गेस्ट हाउस है। कमरों की संख्या बढ़ाई जाएगी। स्टाफ में इजाफा किया जाएगा। लैब और ढांचागत सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

बता दें कि यूनिवर्सिटी की काठमांडू में आयोजित 11 वीं बैठक में प्रोफेसर अग्रवाल की नियुक्ति पर मुहर लगाई गई। एकेडेमिक लीडर प्रो. के के अग्रवाल नेशनल बोर्ड औफ अक्रेडिशन के अध्यक्ष रहे हैं। प्रो. अग्रवाल का कार्यकाल पाँच वर्षों क़ा होगा। उन्होंने भारत और विदेशों में कई प्रमुख औद्योगिक संगठनों में व्याख्यान भी दिए हैं।

यह यूनिवर्सिटी आठ सार्क देशों- अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान,  नेपाल, भारत, बांग्ला देश, भूटान, श्रीलंका, मालदीव के आपसी सहयोग से चलाई जा रही है। इसकी डिग्री सभी आठ सार्क देशों द्वारा मान्यता प्राप्त है। एसएयू का गवर्निंग बोर्ड, जिसमें प्रत्येक सार्क राष्ट्र के दो प्रतिनिधि हैं। कविता ए शर्मा के 2019 में सेवानिवृत्त होने के बाद से विश्वविद्यालय में कोई स्थायी प्रमुख नहीं था।

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