दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को दिल्ली दंगों के संबंध में बड़ा झटका देते हुए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के पीछे कथित साजिश से जुड़े यूएपीए मामले में खालिद को जमानत देने से इनकार कर दिया।
कोर्ट जमानत याचिका खारिज करते हुए ने कहा, "जमानत के लिए दी गयी आपकी याचिका में कोई दम नहीं है, इसलिए यह जमानत याचिका खारिज की जाती है।"
खालिद पर फरवरी में 2020 में दिल्ली में हुए में साजिश रचने का आरोप है। जिसके संबद्ध में सितंबर 2020 में उन्हें दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया गया था। अदालत में दायर अपनी याचिका में खालिद ने दावा किया था कि शहर के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में हुई हिंसा में उनकी कोई न आपराधिक भूमिका और न ही किसी अन्य अरोपी के साथ कोई षड्यंत्रकारी संबंध था। इसलिए उनको रिहा किया जाये।
दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगो के संबंध में उमर खालिद और शारजील इमाम सहित कई अन्य लोगों पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस दंगे जिसने 53 लोगों की मौत हो गयी और 700 से अधिक घायल हो गए।
दंगों के संबंध खालिद और इमाम के अलावा कार्यकर्ता खालिद सैफी, जेएनयू के छात्र नताशा नरवाल और देवांगना कलिता, जामिया समन्वय समिति के सदस्य सफूरा जरगर, आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और कई अन्य लोगों पर भी मामले में कड़े कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था।