“ऑनलाइन पढ़ाई के माहिर स्टार टीचरों की नई जमात ने न सिर्फ ई-शिक्षा का आकर्षण बढ़ाया, बल्कि उन्हें खूब नाम-दाम कमाने को मौका दिया”
महामारी कोविड-19 दुनिया भर और हमारे देश में करोड़ों लोगों के दुख-संताप और तबाही का कारण बनी, मगर वह कुछ के लिए ‘आपदा में अवसर’ भी साबित हुई। ई-कॉमर्स, ई-रिटेल जैसे तमाम ऑनलाइन धंधों को तो वह मालामाल करती गई, ई-शिक्षा का द्वार खोलने में भी उसकी महती भूमिका रही। महामारी छंटने लगी तो भले ये धंधे और पेशे शायद कुछ मंदी भी झेल रहे हैं, लेकिन ऑनलाइन शिक्षकों का एक वर्ग ऐसा है जिनके नाम और दाम में लगातार इजाफा दर्ज हो रहा है। और वह भी इस कदर कि वे उसी तरह सेलेब्रेटी बन गए हैं, जैसे ऐक्टर, ऐक्ट्रेस, क्रिकेट खिलाड़ी, वगैरह। वे बाजार में निकलें तो लड़के-लड़कियां सेल्फी और ऑटोग्राफ लेने दौड़ पड़ते हैं। सोशल मीडिया पर उनकी फैन फॉलोइंग लाखों-करोड़ों में हो गई है। और कमाई भी न भूलिए। कम से कम एक का स्टार्ट-अप तो यूनिकॉर्न (एक अरब अमेरिकी डॉलर का बाजार मूल्यांकन पार कर चुकी असूचीबद्ध कंपनी) में शुमार है। इन स्टार टीचरों के जलवे में दिन दूनी, रात चौगुनी दर से इजाफा हो रहा है।
भारत में ऑनलाइन शिक्षा की क्रांति ने दर्जनों ‘स्टार टीचर’ को जन्म दिया। उसके पोस्टर बॉय विकास दिव्यकीर्ति, खान सर, अलख पांडे और अवध ओझा जैसे ऑनलाइन शिक्षक हैं। फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर उनके फॉलोअर लाखों-करोड़ों में है। ये स्टार टीचर बड़े बिजनेसमैन भी बन रहे हैं। अलख पांडे का स्टार्ट-अप ‘फिजिक्सवाला’ हाल में ही देश का 101वां यूनिकॉर्न बना है। खास शैली के मॉक इंटरव्यू के लिए चर्चित दिल्ली युनिवर्सिटी के डॉक्टर विजेंदर चौहान आउटलुक से कहते हैं, “शिक्षक ‘सेलिब्रिटी’ कोविड-19 महामारी के पहले से ही बनने लगे थे। महामारी के दौर में तेजी आ गई।”
भारत में अब तक पांच ऐडटेक कंपनियां यूनिकॉर्न बन चुकी हैं। शिक्षकों के रेवेन्यू को लेकर प्रो. विजेंदर बताते हैं, “कई तरह के रेवेन्यू मॉडल हैं। एक तो यही है कि शिक्षक अपनी छवि का उपयोग करके सोशल प्लेटफॉर्म को मोनेटाइज कर रहे हैं। यह भी सच है कि लोग अब लाइम लाइट में रहने के लिए शिक्षक बनना चाहते हैं। पढ़ाना अब फायदे का सौदा हो गया है। कई ऐसे शिक्षक हैं जो करोड़ों में कमा रहे हैं। कुछ साल पहले तक कोई यह सोच भी नहीं सकता था। बड़े-बड़े शिक्षकों के पैकेज कई कंपनियों के सीईओ से अधिक या बराबर हैं।”
बेंगलूरू स्थित मार्केट रिसर्च फर्म रेडशीर के मुताबिक भारत में ऑनलाइन शिक्षा का बाजार 2021-2025 के दौरान 50 फीसदी बढ़कर पांच अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इसके साथ ही वैश्विक ई-लर्निंग के बाजार का आकार 2026 तक 370 अरब डॉलर बढ़ने का अनुमान है। शिक्षा प्रौद्योगिकी और ई-लर्निंग में छात्रों की जबरदस्त दिलचस्पी ने इस क्षेत्र में बड़े निवेश को आकर्षित किया है। भारत में ऑनलाइन शिक्षा की बढ़ती डिमांड की वजह से भारत विश्व स्तर पर ऐडटेक के लिए दूसरा सबसे बड़ा फंडिंग बाजार बन गया है।
भारत में कोविड-19 महामारी के बीच पांच कंपनियां यूनिकॉर्न बन गईं, जिसमें ऐडटेक कंपनी ‘फिजिक्सवाला’ शुमार है। उसके संस्थापक अलख पांडे कहते हैं, “जब ऑनलाइन शिक्षा की मांग बढ़ रही है, तो ऑनलाइन पढ़ाना ही एकमात्र विकल्प बचता है।” बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा के प्रति बढ़ते आकर्षण पर अलख कहते हैं, “ऑफलाइन में सही विकल्प चुनने में कठिनाइयां आती हैं। लेकिन ऑनलाइन में ऐसा नहीं है। यहां छात्रों को सही विकल्प चुनने में आसानी रहती है।” वे कहते हैं, “ऑनलाइन एजुकेशन आने से छात्रों का समय भी बच रहा है। कोई लेक्चर छूट जाए, तो उसे बाद में भी देखा जा सकता है।” अलख का यह भी मानना है कि जल्द ही ऑनलाइन और ऑफलाइन के बीच सामंजस्य बन जाएगा और छात्रों को हाइब्रिड मोड का विकल्प मिलने लगेगा।
स्मार्ट फोन ने बनाया स्मार्ट
ऑनलाइन शिक्षा के नए चलन को बढ़ावा देने में ज्यादातर आबादी के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट की उपलब्धता एक बड़ा कारण है। अच्छी कनेक्टिविटी के कारण कह सकते हैं कि यह सोने पर सुहागा है। डेलॉइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2026 तक एक अरब स्मार्टफोन उपयोगकर्ता होंगे। यही नहीं, भारत के आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार देश में 83 करोड़ लोग इंटरनेट का प्रयोग कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वायरलेस इंटरनेट डेटा उपयोग 2021 में सात गुना बढ़कर 32,397 पेटाबाइट हो गया है, जो 2018 में लगभग 4,200 पेटाबाइट था।
रिपोर्ट में कहा गया है, “हाई क्वालिटी इंटरनेट अपनाने से स्मार्टफोन की मांग बढ़ने की उम्मीद है।” इसके साथ ही भारत में ई-लर्निंग में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। ऐसे तमाम आंकड़ों के बावजूद ऑनलाइन शिक्षा के भविष्य को लेकर कई तरह के सवाल उठते रहते हैं। शिक्षकों का विवाद में फंसना, यूट्यूब पर गलत कंटेंट की भरमार, सस्ती लोकप्रियता के लिए शिक्षकों का उल्टे-सीधे बयान देना आदि ऐसे कई मुद्दे हैं जो इस पद्धति को लेकर संशय पैदा करते हैं।
ऑनलाइन शिक्षा के भविष्य पर अवध ओझा कहते हैं, “हर चीज परिवर्तित होती है। लोग पांच दस साल के भीतर इसे स्वीकार कर लेंगे।” वे जोर देकर यह भी कहते हैं कि अगर किसी बच्चे को अच्छी ऑफलाइन शिक्षा पाने का अवसर मिलेगा, तो वह कभी भी ऑनलाइन पढ़ाई की तरफ नहीं जाएगा।
सेलेब्रेटी जैसा आकर्षण
ऐसे स्टार अध्यापकों से नीट-जेईई, एसएससी, यूपीएससी और बैंकिंग जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र आकर्षित होते हैं। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के रहने वाले छात्र राजेश शर्मा आउटलुक से कहते हैं, “अमूमन हमारे यहां के ज्यादातर छात्र प्रयागराज या कानपुर जाकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, लेकिन मैं वहां जाना नहीं चाहता था। मैं पटना आया क्योंकि यहां खान सर पढ़ाते हैं।” खान सर में ऐसा क्या खास है? राजेश कहते हैं, “उनकी भाषा में बनावट नहीं है। वे हमें हमारी भाषा में समझाते हैं। बचपन में मैं जिन शिक्षकों से पढ़ा हूं वे अलग थे, लेकिन अब मैं सैकड़ों की भीड़ में भी खान सर से कनेक्ट कर पाता हूं।” बलिया से तैयारी करने प्रयागराज गए विनायक सिंह भी अवध ओझा के बारे में बिल्कुल इसी तरह की बात कहते हैं। जाहिर है, छात्रों के आकर्षण ने भी कुछ ऑनलाइन शिक्षकों को स्टार बनाने में मदद की।
डॉ. चौहान कहते हैं, “शिक्षक अब सेलिब्रिटी बनने लगे हैं। मैंने खुद कभी नहीं सोचा था कि शिक्षक होने के बाद मुझे ऐसी पहचान मिलेगी कि लोग बाजार में मुझे घेर लेंगे और लोग मेरे साथ सेल्फी लेना चाहेंगे।” वे बताते हैं, “मुझे लगता है अब शिक्षक ही केवल ब्रांड नहीं बन रहे या बनने की कोशिश कर रहे, बल्कि कई दूसरे पेशे भी ऐसे हैं जो लगातार लाइम लाइट में बने हुए हैं। अब आप देखेंगे कि नौकरशाह अपने साथ कैमरा टीम लेकर चल रहे हैं जो उनकी हर गतिविधि को शूट कर रहा है और जनता को दिखा रहे हैं।”
यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों के बीच खासे मशहूर ‘इकरा आइएएस’ के संस्थापक अवध ओझा आउटलुक से कहते हैं, “नया कुछ नहीं है। मैं पहले जैसा पढ़ाता था, आज भी वैसा ही पढ़ाता हूं। यहां तक कि मैंने अपने पहनावे में भी कोई बदलाव नहीं किया है। मैं मानता हूं कि शिक्षक की स्वीकार्यता उसके ज्ञान से होनी चाहिए, ग्लैमर से नहीं।”
शिक्षकों के सेलेब्रिटी कल्चर पर ‘फिजिक्सवाला’ के संस्थापक अलख पांडे का कुछ अलग मानना है। वे कहते हैं, “पहले शिक्षकों को वह दर्जा नहीं मिलता था जिसके वे हकदार थे। सिर्फ स्टैंड-अप कॉमेडियन ही फेमस होते थे। आज शिक्षकों को सेलेब्रिटी स्टेटस मिल रहा है, तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है? भारत में तो गुरु-शिष्य की बहुत समृद्ध परंपरा रही है। हां, बीच में एक दौर ऐसा आया था जब शिक्षकों की चमक कुछ फीकी हो गई थी, हालांकि अब ऑनलाइन टीचिंग ने पुरानी परंपरा को नए तरीके से फिर जगा दिया है। यह तो खुशी की बात है कि अब शिक्षक आइकॉन बन रहे हैं।”
विवादों से नाता
सेलेब्रेटी हों और विवाद न हो, ऐसा मुमकिन नहीं। या यूं कहें कि विवाद सेलेब्रेटी स्टेटस में इजाफा करते हैं। इसकी मिसाल सिनेमाई से लेकर क्रिकेट और राजनीति तक फैली है। स्टार शिक्षक भी भला विवादों में क्यों न घिरें? कभी-कभी तो उन्हें हिरासत में लेने की नौबत आ जाती है। यही नहीं, कई शिक्षकों के ऊपर भड़काऊ भाषण देने के लिए एफआइआर तक दर्ज हो चुकी है। सबसे चर्चित ऑनलाइन टीचर खान सर को लेकर सबसे बड़ा विवाद उनके नाम से जुड़ा हुआ है। उनका असली नाम क्या है? यह किसी को नहीं पता। कुछ उनका असली नाम अमित सिंह बताते हैं तो कुछ लोग उन्हें फैजल खान नाम से जानते हैं।
ख्ाान सर के ऊपर आरआरबी-एनटीपीसी परीक्षा के नतीजे आने के दौरान छात्रों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप भी लग चुका है। यह हिंसा इसी साल जनवरी में तब हुई थी जब पटना की सड़कों पर हजारों छात्र आयोग द्वारा जारी परीक्षा नतीजों के विरोध में उतर आए थे। इस मसले पर यूट्यूब को खान सर के एक वीडियो पर प्रतिबंध लगाना पड़ा। एक अन्य चैनल जिससे करीब-करीब दो करोड़ छात्र जुड़े हुए हैं, उसे भी एक हफ्ते के लिए बंद करना पड़ा था।
अवध ओझा पर भी अपने वीडियो के जरिये दो समुदायों के बीच शांति भंग करने का आरोप लगता रहा है। गौरतलब है कि उन्हें 2015 के दिल्ली चुनाव में एक मंच से अरविंद केजरीवाल का समर्थन करते हुए भी देखा गया था। उस वक्त उन्होंने अरविंद केजरीवाल की तुलना महात्मा गांधी से की थी। यही नहीं, उन्होंने यूपीएससी में अभ्यर्थियों को अतिरिक्त मौका देने की मांग को लेकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के साथ लखनऊ से दिल्ली तक साइकिल सत्याग्रह भी किया था। इसी सत्याग्रह के चलते उन्हें नोएडा में हिरासत में ले लिया गया था।
ये सिर्फ कुछ उदाहरण हैं। इसके अलावा कई ऐसे शिक्षक हैं जो सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए अपने यूट्यूब पर ऊलजलूल बातें करते हुए भी दिखते हैं। छात्रों को ऑनलाइन यूपीएससी की तैयारी कराने वाले एक शिक्षक नाम न छापने की शर्त पर आउटलुक से कहते हैं, “कई संस्थान सुंदर लड़कियों को हायर करते हैं। ऑनलाइन माध्यम में कई ऐसी शिक्षिकाएं हैं जो पढ़ाते वक्त जान-बूझ कर ऐसे कमेंट करती हैं जिसमें उन्हें कुछ आपत्तिजनक कहा गया हो। आजकल यह लोकप्रियता पाने का आसान और कारगर तरीका बन गया है।”
वे बताते हैं, “कई लोग खुद की क्लिप को ऐसे फैन पेज से वायरल कराते हैं जिसके बारे में संदेह रहता है कि वह फैन पेज उन्हीं लोगों का बनाया हुआ है। इस पर अवध ओझा कहते हैं, “मैंने इसके के लिए एक शब्द बनाया है ‘पैरासाइट’ फेम। सैकड़ों की तादाद में ऐसे ऑनलाइन शिक्षक मिल जाएंगे। अगर कोई ज्यादा प्रसिद्ध है, लाखों में उसके फॉलोवर हों, तो कई लोग उसका छोटा सा क्लिप निकालकर वायरल कर देते हैं। ऐसे में उन्हें भी अच्छे-खासे व्यूज मिल जाते हैं।”
कुछ अच्छे अध्यापकों के बीच कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जो जल्द से जल्द प्रसिद्धि पाने के लिए पढ़ाने के अलावा भी बहुत कुछ कर रहे हैं। यूट्यूब पर शिक्षकों की भीड़ को देखकर कहा जा सकता है कि ऑनलाइन शिक्षा का बाजारीकरण हो चुका है। इस पर अलख पांडे कहते हैं, “मुझे यह सब देख कर बुरा लगता है। ऐसा करना किसी भी दृष्टि से सही नहीं है। पांच साल की मेहनत के बाद आज हम इस मुकाम पर पहुंचे हैं। हमने बच्चों के लिए मेहनत की, उन्हें पढ़ाया, मोटिवेट किया है। इसलिए मैं नए दौर के सभी शिक्षकों से कहना चाहता हूं कि वे बच्चों का दिल जीतने की कोशिश करें। वायरल होने के चक्कर में टीचर अपनी वास्तविकता खो रहे हैं। सस्ता प्रचार पाकर नाम कमाने का तरीका शिक्षकों को छोड़ना होगा।”
ऑनलाइन शिक्षा को लेकर तमाम सवालों के बीच आंकड़ों पर नजर डालें, तो पता चलता है कि इसका भविष्य उज्ज्वल है। छात्रों को ‘मॉडर्न गुरुओं’ की शिक्षण पद्घति रास आ रही है। इसी वजह है कि ऑनलाइन शिक्षा व्यापार में भी दिन दूना रात चौगुना इजाफा हो रहा है। ऐसे प्रयोगों से भारत जैसे कल्याणकारी राज्य को कुछ सबक लेने चाहिए और नए दौर में सार्वजनिक शिक्षा का आधुनिक मॉडल गढ़ना चाहिए।
विकास दिव्यकीर्ति, 48 वर्ष
संस्थापक, दृष्टि आइएएस
शिक्षा: बीए (हिस्ट्री), एमए (हिंदी और सोशियोलॉजी), पीएचडी
हरियाणा में जन्मे डॉ. विकास दिव्यकीर्ति को सोशल मीडिया की दुनिया में देश के अगली कतार के शिक्षकों में गिना जाता है। संपन्न मध्यवर्गीय परिवार के दिव्यकीर्ति के माता-पिता हिंदी साहित्य के प्रोफेसर थे और शायद इसी वजह से विकास का रुझान हिंदी साहित्य की तरफ रहा। उनकी पीएचडी हिंदी साहित्य में है। दिव्यकीर्ति शुरुआती दिनों में दिल्ली विश्वविद्यालय में भी पढ़ा चुके हैं, हालांकि कुछ अलग करने की ख्वाहिश में वे 1996 में यूपीएससी की परीक्षा में बैठे जिसमें उन्हें ऑल इंडिया 384वां स्थान हासिल हुआ। यूपीएससी निकालने के बाद उन्हें सीआइएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट की पोस्ट ऑफर हुई थी लेकिन मेडिकली अनफिट होने के कारण उन्हें सेंट्रल सेक्रेटेरियट सर्विस (सीएसएस) में काम करने का ऑफर मिला। बेमन से राजभाषा विभाग में उन्होंने डेस्क ऑफिसर के पद पर जॉइन किया। चार महीने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। बेरोजगारी से बचने के लिए उन्होंने पढ़ाना शुरू किया और 1999 में दृष्टि आइएएस कोचिंग इंस्टीट्यूट की शुरुआत की। दिव्यकीर्ति के यूट्यूब से एक करोड़ लोग जुड़े हैं।
हिमांशी सिंह, 25 वर्ष
संस्थापक, लेट्स लर्न
शिक्षा: डी.लिट, बीए (इंग्लिश), एमए (इंग्लिश)
महज 25 साल की उम्र में हिमांशी सिंह ने वह कर दिखाया है जो पूरी जिंदगी में कम ही लोग कर पाते हैं। हिमांशी सीटेट परीक्षा की तैयारी के लिए यूट्यूब चैनल चलाती हैं, जिससे करीब 30 लाख लोग जुड़े हुए हैं। अपने प्लेटफॉर्म लेट्स लर्न के जरिये वे रोजाना 80 हजार लोगों को ऑनलाइन पढ़ाती हैं। हिमांशी ने 4 अक्टूबर 2016 को यूट्यूब पर पहला वीडियो डाला था। यूट्यूब पर वे सीटेट, टेट्स, डीएसएसएसबी, केवीएस, एनवीएस वगैरह की तैयारी करवाती हैं। हिमांशी की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय में हुई है। घरवालों के कहने पर उन्होंने ग्रेजुएशन छोड़ दिया और सीटेट निकाला। वे अनएकेडमी पर भी बच्चों को पढ़ा चुकी हैं। पापा की मृत्यु के बाद उन्होंने कुछ दिनों तक पढ़ना बंद कर दिया था, लेकिन फिर पढ़ाना शुरू किया। उनका मानना है कि अगर काम करने का जुनून हो तो रास्ते खुद-ब-खुद बन जाते हैं।
खान सर, 30 वर्ष
संस्थापक, खान जीएस रिसर्च सेंटर (पटना)
शिक्षा- बीएससी, एमएससी
उनका असली नाम विवाद का विषय है लेकिन यूट्यूब पर उनके 1 करोड़ 90 लाख फॉलोवर हैं। कुछ उनका नाम अमित सिंह बताते हैं तो कुछ उन्हें फैजल खान के नाम से जानते हैं। उनके पटना सेंटर के मुताबिक, बकौल खान सर, टीचर को अक्सर उसके टाइटल से ही बुलाया जाता है। वे कहते हैं कि लड़के मुझे प्यार से खान सर कहते हैं तो हमने भी अपना नाम यही रख लिया। खान सर का घर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में है। वे पढ़ाई में शुरू से ठीक थे और उनका सपना फौज में जाने का था, लेकिन घर की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं थी तो उन्होंने वेल्डिंग का काम सीखा, जेसीबी चलाई, होम ट्यूशन दिया और आज उनके सेंटर का नाम देश भर में है। दावा यह है कि ऑफलाइन बैच में वे एक साथ चार हजार लड़कों को पढ़ाते हैं जबकि ऑनलाइन लाखों बच्चों को रोजाना करीब 5-6 घंटे लगातार पढ़ाते हैं। पटना के बाद जल्द ही दिल्ली में सेंटर खोलने की उनकी योजना है, जहां हिंदी में यूपीएससी की तैयारी कराई जाएगी। खान सर का विवादों से पुराना नाता रहा है। सबसे बड़ा विवाद उनके नाम को लेकर ही है। हाल में उन पर आरआरबी-एनटीपीसी परीक्षा के नतीजे को लेकर लड़कों को भड़काने का भी आरोप लगा। सरकार ने यूट्यूब पर अपलोड उनके वीडियो को डिलीट कर दिया ताकि शहर में उपद्रव न भड़के। उनके यूट्यूब चैनल पर हफ्ते भर के लिए प्रतिबंध भी लगाया गया।
सिद्धांत अग्निहोत्री, 29 वर्ष
संस्थापक, स्टडी ग्लोज
शिक्षा- एमए (इतिहास), एमएससी (भूगोल)
मध्यमवर्गीय परिवार के सिद्धांत अग्निहोत्री को पढ़ाई-लिखाई में किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा। सिद्धांत ने 2010 में इंटरमीडिएट पूरा किया और बाद में बी.एससी की। उसके बाद उन्होंने कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी। वे राज्य पीसीएस, यूपीएससी, यूपीपीसीएस, और कुछ अन्य सरकारी परीक्षाओं मंम सफल भी हुए, लेकिन सब छोड़कर वे स्टडी आइक्यू में अध्यापन करने लगे। वे बताते हैं कि वे बनना तो नेता चाहते थे, लेकिन एमएससी करने के दौरान 11वीं, 12वीं और बी.एससी के छात्रों को पढ़ाने लगे। उस समय उनकी कमाई 2,000-3,000 रुपये प्रतिमाह थी और छात्र उनसे संतुष्ट थे। स्टडी आइक्यू में चार साल पढ़ाने के बाद उन्हें अपना स्टार्ट अप शुरू करने का मन हुआ और उन्होंने स्टडी ग्लोज की स्थापना की। वे कहते हैं, शुरुआत में स्टडी ग्लोज के बारे में किसी को पता नहीं था, लेकिन उन्होंने पढ़ाना नहीं छोड़ा। आज उनके चैनल से करीब 14 लाख लोग जुड़े हुए हैं।