लखनऊ। केन्द्र की सरकार द्वारा जब-जब योजनायें देश के ऊपर थोपी गयी तब-तब असमंजस की स्थित इस देश में पैदा हुई, जिसके लिए योजना लाई गयी मूल रूप से उसी के खिलाफ रही, जीएसटी आजतक व्यापारियों के समझ में नहीं आया, नोटबंदी हुई पूरे देश की अर्थव्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गयी। लॉकडाउन से मध्यम एवं छोटे व्यवसाय प्रायः समाप्त से हो गये। हद तो तब हो गयी जब काले कृषि कानून ने लगभग एक वर्ष तक किसानों को सड़क पर बैठने को मजबूर कर दिया तथा 700 से अधिक किसानों को शहादत देनी पड़ी आज उसी तरह बिना सोचे समझे नौजवानों के विरूद्ध अग्निपथ योजना लाकर नौजवानों के साथ धोखा किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता कृष्णकांत पांडेय ने बताया कि अग्निपथ के विरोध में जहां देश के तमाम भागों में कांग्रेसजन सत्याग्रह कर रहें हैं, वहीं पर दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर भारी तदात में सत्याग्रह के दौरान उप्र के नेता, राज्यसभा सांसद धरना दे रहे हैं।
पाण्डेय ने बताया कि जय जवान, जय किसान की पहचान वाले देश में किसान और जवान विशेष रूप से परेशान किये जा रहे हैं, क्योकि भाजपा सरकार केवल चंद उद्योगपतियों के लिए प्रतिबद्ध है। किसानों के खिलाफ कानून बनाकर जहां सैकड़ों लोगों को जान गवानी पड़ी वहीं अब जवानों के खिलाफ योजना लाकर सड़कों पर उतरने को सरकार ने विवश कर दिया है। विगत आठ वर्ष से प्रधानमंत्री द्वारा नौजवानों को नौकरी का झूठा वादा कर गुमराह किया जा रहा है। देश के आज जो हालात बने हैं, निश्चित रूप से इसके लिए भाजपा सरकार ही जिम्मेदार है। एक तरफ राजनैतिक प्रतिशोध की भावना से जनता की आवाज उठाने वाले नेताओं को सरकारी एजेंन्सियों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है। वहीं पर भारत के सबसे बड़े 22842 करोड़ के बैंक फ्राड के आरोपी ए.बी.जी. शिपयार्ड के मुखिया ऋृषि अग्रवाल से एक बार भी पूछताछ नहीं की गयी।
उन्होंने कहा कि नौजवानों के साथ अग्निपथ के माध्यम से क्या लाभ होना है, इसका सटीक वर्णन भाजपा के नेता कैलाश विजयवर्गीय द्वारा कहा जा रहा है, जिसकी कांग्रेस पार्टी निंदा करती है। क्या अब यह देश जय जवान, जय किसान का नहीं? हम दो हमारे दो का हो गया है? जिन नौजवानों ने खून पसीना बहाकर तीन वर्षो से लगातार तैयारी की है, आज उनके सामने संविदा की तरह सेना में भर्ती का ऑफर देकर देश की सुरक्षा एवं नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास किया जा रहा है। अग्निपथ का समर्थन वहीं लोग कर रहें हैं जिनके बच्चे कॉन्वेन्ट में पढ़ते हैं सेना में भेजने का कोई इरादा नहीं है। किसान का बेटा सेना में जाता है इसलिए किसान और जवान परेशान किये जा रहें हैं।