राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सांसद सुप्रिया सुले ने रविवार को "पार्टी में किसी भी प्रकार की लड़ाई" से इनकार किया और कहा कि पार्टी में कोई लड़ाई नहीं है और चुनाव चिन्ह 'जाने' का कोई सवाल ही नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी की स्थापना वरिष्ठ नेता शरद पवार ने की थी और जाहिर है कि चुनाव चिन्ह उनके पास ही रहना चाहिए।
सुप्रिया सुले ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "एनसीपी में कोई लड़ाई नहीं है। पार्टी की स्थापना 25 साल पहले शरद पवार ने की थी। कश्मीर से कन्याकुमारी तक, हर कोई जानता है कि एनसीपी का मतलब शरद पवार है। एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार हैं और महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल हैं।"
सुप्रिया सुले ने नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "इसके (चिह्न) जाने का कोई सवाल ही नहीं है। पार्टी शरद पवार ने बनाई थी, इसलिए यह चिन्ह उनके पास ही रहना चाहिए, यह स्पष्ट है।"
#WATCH | Nagpur, Maharashtra: NCP MP Supriya Sule says, "...There is no fight in the NCP... The party was established by Sharad Pawar 25 years ago... From Kashmir to Kanyakumari, everyone knows NCP means Sharad Pawar. NCP national president is Sharad Pawar, and the Maharashtra… pic.twitter.com/Yp62S27Fm1
— ANI (@ANI) October 1, 2023
दरअसल, जुलाई की शुरुआत में अजित पवार ने पार्टी के दो गुटों में झगड़े के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और पार्टी के चुनाव चिन्ह पर दावा करते हुए चुनाव आयोग से संपर्क किया था। बाद में चुनाव आयोग ने पार्टी के दोनों गुटों को पत्र लिखकर स्वीकार किया कि पार्टी में विभाजन हो गया है। आयोग ने इस विवाद में पहली सुनवाई की तारीख 6 अक्टूबर तय की है।
गौरतलब है कि जुलाई में आयोग ने अजित पवार गुट द्वारा दायर एक याचिका के बाद शरद पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी समूह को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
प्रफुल्ल मारपकवार की रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में दावा किया गया है कि अजित पवार को एनसीपी अध्यक्ष घोषित किया जाना चाहिए और चुनाव चिह्न आदेश, 1968 के प्रावधानों के अनुसार उन्हें पार्टी का घड़ी चुनाव चिह्न आवंटित किया जाना चाहिए।
अजित पवार ने 30 जून को चुनाव आयोग के समक्ष याचिका दायर की थी और जब उन्होंने 2 जुलाई को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तो उनका नोटिस 5 जुलाई को चुनाव आयोग के कार्यालय में पहुंचा। अजित पवार ने अपने दावे के समर्थन में सांसदों, विधायकों और एमएलसी के हलफनामों के साथ याचिका दायर की थी।