मुजफ्फरपर शेल्टर होम मामले में बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को झटका देते हुए सभी 17 शेल्टर होम्स की जांच सीबीआइ को सौंप दी है। साथ ही कहा है कि बिना मंजूरी के जांच कर रहे सीबीआई अफसर का तबादला नहीं किया जाए।
बिहार सरकार ने जवाब देने के लिए और समय देने की मांग की थी जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया। कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच कर रही सीबीआइ टीम को बिहार सरकार तमाम सुविधाएं मुहैया करवाए। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ से पूछा कि वो बिहार के अन्य शेल्टर होम के मामलों की जांच के लिए तैयार हैं या नहीं? इसका जवाब देते हुए सीबीआइ ने कहा कि हम जांच को तैयार हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर बिहार सरकार ने इस मामले की सही से जांच कराई होती तो सीबीआइ जांच की नौबत ही नहीं आती। टिस की रिपोर्ट में जिन बिंदुओं पर जांच की बात कही गई है, उन सभी की सही से जांच करायी जाए।
बिहार सरकार को लगाई थी फटकार
इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि पूरे मामले में राज्य का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, अमानवीय और लापरवाह है। सुप्रीम कोर्ट ने अदालत में मौजूद मुख्य सचिव से पूछा था कि अगर अपराध हुआ था तो आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 377 और पॉक्सो एक्ट के तहत अभी तक मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया। आप बताइए, क्या बाकी बचे शेल्टर होम के मामले को सीबीआई को ट्रांसफर किया जाए या नहीं?
टीआईएसएस रिपोर्ट में हुआ था खुलासा
2018 के शुरुआत में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, मुंबई (टीआईएसएस) ने अपने सोशल ऑडिट के आधार पर मुजफ्फरपुर के साहु रोड स्थित शेल्टर होम में नाबालिग लड़कियों के साथ कई महीने तक रेप और यौन शोषण होने का खुलासा किया था। मेडिकल जांच में शेल्टर होम की कम से कम 34 बच्चियों के साथ रेप की पुष्टि हुई थी। पीड़ित कुछ बच्चियों ने कोर्ट को बताया कि उन्हें नशीला पदार्थ दिया जाता था फिर उनके साथ रेप किया जाता था। इस दौरान उनके साथ मारपीट भी होती थी। जब उनकी बेहोशी छंटती थी और वो होश में आती थीं तो खुद को निर्वस्र पाती थीं।
तूल पकड़ा तो सीबीआई को दे दी गई जांच
मामले के तूल पकड़ने पर बिहार सरकार ने सीबीआई जांच की अनुशंसा की थी। जिसके बाद 28 जुलाई को सीबीआई की टीम ने मामले की जांच शुरू कर दी। मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत कई आरोपी जेल में हैं।
घटना सामने आने पर नीतीश सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री और उनकी सरकार पर खूब निशाना साधा था।