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किसी इबादत के खिलाफ नहीं, नारी गरिमा के लिए है ये बिल: तीन तलाक पर कानून मंत्री

केंद्र सरकार ने गुरुवार को मुस्लिम समुदाय के बीच तीन तलाक तीन तलाक को आपराधिक घोषित करने वाले विधेयक...
किसी इबादत के खिलाफ नहीं, नारी गरिमा के लिए है ये बिल: तीन तलाक पर कानून मंत्री

केंद्र सरकार ने गुरुवार को मुस्लिम समुदाय के बीच तीन तलाक तीन तलाक को आपराधिक घोषित करने वाले विधेयक को पेश किया। इस बिल को लेकर विपक्षी दल की कई पार्टियों ने आपत्ति जताई है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वसम्‍मति से संसद में ट्रिपल तलाक बिल पारित कराने की अपील की थी। इस बिल को ‘द मुस्लिम वुमन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज’ नाम दिया गया है।

तीन तलाक पर बिल पेश करने वाले केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, आज का दिन ऐतिहासिक है। आज हम इतिहास बना रहे हैं। कुछ सदस्यों की आपत्तियों पर मैं ये कहना चाहूंगा कि ये पूरा कानून किसी पूजा, इबादत या महजब का नहीं है। यह कानून नारी की गरिमा का है।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 'तलाक-ए-बिद्दत' या तीन तलाक को गैर कानूनी घोषित करने के बाद भी महिलाओं को सड़कों पर फेंक दिया जाता है। ऐसे में सदन को तय करना है कि वह किसका साथ देंगे।

हाल ही में रामपुर में हुई तीन तलाक की घटना का उल्लेख करते हुए कानून मंत्री ने कहा कि हम नारी गरिमा के लिए यह विधेयक लाए हैं। हमारा यह बिल किसी पूजा-प्रार्थना या इबादत के खिलाफ नहीं है बल्कि नारी गरिमा और नारी के अधिकारों की सुरक्षा के लिए है।  

 


एआइएमआइएम के प्रेसिडेंट ओवैसी ने सवाल उठाते हुए कहा, ‘बिल में मूलभूत अधिकारों का हनन है जब पहले से ही घरेलू हिंसा के लिए कानून है तो इस विधेयक की क्‍या जरूरत है।‘ वहीं बीजद की ओर से भी विधेयक के प्रावधानों को लेकर विरोध जताया गया।

कांग्रेस ने किया समर्थन

कांग्रेस पार्टी ने तीन तलाक पर इस बिल का समर्थन का ऐलान किया है। कांग्रेस बिल पर कोई संशोधन नहीं लाएगी। कांग्रेस की ओर से सरकार को सिर्फ सुझाव दिए जाएंगे, और सरकार का इस मुद्दे पर समर्थन किया जाएगा।

 


 

आगरा निवासी ट्रिपल तलाक पीड़िता फैजा खान ने कहा कि हम बेहद खुश हैं कि मोदी जी और योगी जी द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया अब कामयाबी की तरफ बढ़ रही है। मुस्लिम महिलाओं के जीवन में आज का दिन ईद और बकरीद से भी ज्यादा बड़ा है।

 


वहीं, इससे पहले  लखनऊ निवासी ट्रिपल तलाक पीड़िता हुमा खायनात बोली, हमारे जैसे लोगों को जिन्हें तलाक दे दिया गया है और जिन्हें इसकी धमकी दी जा रही है, कानून बनने से उन्हें फायदा होगा। ट्रिपल तलाक का कानून अगर बनता है तो घरेलू हिंसा पर भी ऐसा ही कानून बनना चाहिए। 

 


इस बीच, बीजेपी ने अपनी पार्टी के सभी लोकसभा सांसदों को गुरुवार और शुक्रवार को सदन में मौजूद रहने का निर्देश देते हुए व्हिप जारी किया है। माना जा रहा है कि पार्टी इस मुद्दे पर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती।

बीजेपी ने विधेयक पारित करवाने के लिए विपक्षी पार्टियों से भी सहयोग मांगा है। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने बुधवार को कहा था कि वह सभी पार्टियों से अपील करते हैं कि वे इस विधेयक को एकमत से पारित कराने में सहयोग दें। इस क्रम में उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तारीफ की थी और कहा था कि वह 'न्‍यू इंडिया' के लिए 'न्‍यू सैंटा' हैं, जो न्‍यू इंडिया के लिए अच्‍छा करेंगे।

लोकसभा की कार्यसूची के मुताबिक, तीन तलाक से संबंधित मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017 निचले सदन में आज पेश किया जायेगा। लोकसभा में एनडीए के संख्याबल को देखते हुए इस तीन तलाक बिल को पास कराने में सरकार को ज्‍यादा मुश्किल नहीं होगी। लोकसभा से पास होने के बाद बिल राज्यसभा में जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में तीन तलाक को अमान्य और असंवैधानिक घोषित किया था, जिसके बाद सरकार नया कानून बनाने जा रही है।

सरकार लोकसभा में इस बिल को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ दिख रही है, जहां यह बहुमत में है। हालांकि, कुछ विपक्षी पार्टियों ने प्रस्तावित बिल को संसदीय कमिटी के पास भेजने की मांग की है। उन्होंने यह मांग तीन तलाक को आपराधिक घोषित किए जाने पर कुछ तबकों द्वारा की जा रही आपत्ति के बाद की है।

कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद मुस्लिम महिला (शादी के अधिकार का संरक्षण) विधेयक पेश करेंगे। इस पर भले ही तुरंत चर्चा न हो, लेकिन सरकार इस पर सदन में सांसदों की प्रतिक्रिया के लिए तैयार है। साथ ही इस विधेयक के औचित्य पर दलील देने को भी तैयार है।

इस बिल को गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अगुआई में एक अंतरमंत्रालयी समूह ने तैयार किया है। इसके तहत किसी भी तरह से दिया गया इन्सटैंट ट्रिपल तलाक (बोलकर या लिखकर या ईमेल, एसएमएस, वॉट्सऐप आदि के जरिए) 'गैरकानूनी और अमान्य' होगा और पति को 3 साल तक जेल की सजा हो सकती है।

बता दें कि इस बिल को 1 दिसंबर को राज्यों को विचार के लिए भेजा गया था और उनसे 10 दिसंबर तक जवाब मांगा गया था। हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने रविवार को प्रस्तावित बिल को महिला विरोधी बताते हुए खारिज कर दिया था

 

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