केंद्र सरकार की ओर से कॉन्टेंट को हटाने के आदेश को सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर ने मंगलवार को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी है। कंपनी ने कंटेंट को लेकर सरकार के कुछ आदेशों को वापस लेने की मांग उठाई है। रॉयटर्स के मुताबिक, सूत्रों ने कहा कि ट्विटर ने अधिकारियों की ओर से इसे सत्ता का दुरुपयोग कहा है।
ट्विटर ने भारत सरकार के 2021 में दिए गए आदेश के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है। किया। बीते साल केंद्र सरकार ने ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम से कुछ कॉन्टेंट को हटाने को कहा था। इनमें से कुछ पोस्ट्स कोरोना वायरस संक्रमण से जुड़ी भी थीं। जिन लोगों के अकाउंट्स में पब्लिश सामग्री को हटाने के लिए कहा गया था, उनमें बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा और विनोद कापड़ी शामिल थे।
रॉयटर्स ने इस मामले से वाकिफ कुछ सूत्रों के हवाले से बताया है कि ट्विटर ने कुछ अधिकारियों की तरफ से अधिकार के कथित दुरुपयोग को कानूनी चुनौती दी है। भारत में करीब 2.4 करोड़ यूजर्स वाले ट्विटर ने ये भी दलील दी है कि कुछ ऑर्डर्स में कंटेंट के लेखक को नोटिस तक नहीं दिया गया। इसमें ये भी कहा गया है कि कुछ पोस्ट राजनीतिक दलों के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पोस्ट किए गए हैं। इनको ब्लॉक करना एक तरह से अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन है।
ट्विटर और सरकार के बीच तब टकराव बढ़ा जब पिछले साल की शुरुआत में माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने सरकार के एक आदेश पर पूरी तरह अमल से इनकार कर दिया था। सरकार ने कुछ अकाउंट्स के खिलाफ ऐक्शन लेने को कहा था जो सरकार-विरोधी किसान आंदोलन के बारे में कथित तौर पर झूठी और भ्रामक सूचनाएं फैला रहे थे।
पिछळे साल सरकार की ओर से जनवरी और अप्रैल में ये नोटिस जारी किए गए थे। थ ही इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड आईटी मिनिस्ट्री का कहना था कि यदि इन ट्वीट्स को नहीं हटाया गया तो फिर ट्विटर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आदेश का उल्लंघन करने पर ट्विटर के मुख्य अनुपालन अधिकारी पर आपराधिक कार्रवाई की जाएगी। इसी के खिलाफ ट्वीटर कोर्ट पहुंचा है। कंपनी का कहना है कि कॉन्टेंट को ब्लॉक करने का आदेश आईटी ऐक्ट के सेक्शन 69एसे अलग है।
आईटी ऐक्ट के सेक्शन 69 (ए) के मुताबिक यदि कोई सोशल मीडिया पोस्ट या अकाउंट सामाजिक व्यवस्था को बिगाड़ सकता है या फिर देश की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ सामग्री पोस्ट करता है तो फिर ऐसी पोस्ट्स और अकाउंट के खिलाफ सरकार ऐक्शन ले सकती है। कई राज्य सरकारों से भी ट्विटर के मतभेद देखने को मिले हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से बीते साल ट्विटर इंडिया के हेड मनीष माहेश्वरी को सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी किया गया था।