मोदी सरकार के अंतरिम बजट 2019 को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। बजट को 11 बजे संसद में पेश कर दिया गया है। वित्त मंत्री पीयूष गोयल बजट भाषण पढ़ रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार का यह आखिरी बजट है। अगले तीन चार महीनों में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं। अब देखना है कि इस बजट में पीयूष गोयल अपने पिटारे से क्या निकालते हैं।
इससे पहले वित्त मंत्री पीयूष गोयल नॉर्थ ब्लाक स्थित वित्त मंत्रालय पहुंचे। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और फिर संसद पहुचे। यहां कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी गई।
क्या हैं बजट से उम्मीदें
माना जा रहा है कि इस बजट से उद्योग, कृषि, स्वास्थ्य समेत मध्यम वर्ग आदि को काफी उम्मीदें हैं। वहीं, सरकार ने सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी का आरक्षण रखा है। इसका सालाना आठ लाख रुपये से कम आय वाला इसका फायदा उठा सकते हैं। ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि सरकार इनकम टैक्स छूट लिमिट भी बढ़ा सकती है। इससे पहले पूर्ण बजट पेश किए जाने की खबर आई थी, जिस पर बुधवार को वित्त मंत्रालय की तरफ से स्पष्ट किया गया कि यह ‘अंतरमि बजट 2019-20’ होगा।
बजट में क्या-क्या ऐलान कर सकती है मोदी सरकार
माना जा रहा है कि आम चुनाव से पहले पेश होने वाले इस बजट में आयकर छूट सीमा बढ़ाने, गरीबों के लिए न्यूनतम आय योजना और किसानों के लिए सहायता पैकेज सहित कई तरह की लोक लुभावन घोषणाएं की जा सकती है। हालांकि, आगामी बजट सत्र के दौरान मात्र चार माह के लेखानुदान को ही मंजूरी दी जाएगी। चुनाव के बाद सत्ता में आने वाली नई सरकार ही पूर्ण बजट पेश करेगी।
- गरीबों के लिए मिनिमम इनकम स्कीम का ऐलान कर सकती है।
- 2019 का अंतरिम बजट किसान केंद्रित हो सकता है। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों से ग्रामीण संकट प्रमुख प्रेशर प्वाइंट बनकर उभरा है। 6 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव और आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए 2019 का अंतरिम बजट किसान केन्द्रित बजट हो सकता है। बजट में किसानों के लिए इनकम सपोर्ट प्रोग्राम की घोषणा हो सकती है।
- मिडिल क्लास के लोगों को जानकर खुशी होगी कि इस बजट में उनके लिए कुछ राहत भरे फैसले लिए जा सकते हैं। खासकर सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए इनकम टैक्स से छूट वाली आय की लिमिट को बढ़ा सकती है।
- मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल के आखिरी बजट से उद्योग जगत को काफी उम्मीदें हैं। कारोबारियों को उम्मीद है कि चुनावी साल होने के नाते बजट में इंडस्ट्रियल सेक्टर को कुछ तो राहत मिलेगी। खास तौर से कॉरपोरेट टैक्स के मोर्चे पर कुछ राहत मिल सकती है।
- हेल्थकेयर सेक्टर के लिए भी कुछ घोषणाएं होने की उम्मीद है। पिछले बजट में सरकार का फोकस मोदी केयर यानी आयुष्मान भारत योजना पर था।
बेरोजगारी सबसे बड़ी चुनौती
वर्तमान में जो सबसे बड़ी समस्या सरकार के सम्मुख है, वह बेरोजगारी है। वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव नजदीक आ गया है और बेरोजगारी की समस्या लगातार गंभीर बनती जा रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में बेरोजगारी दर पिछले 45 सालों में सबसे अधिक है। नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस की रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत रही जो 1972-73 के बाद सबसे अधिक है।
रिपोर्ट के मुताबिक महानगरों और छोटे शहरों में बेरोजगारी की समस्या ज्यादा गंभीर है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति इससे बेहतर है। शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत तक है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 5.3 प्रतिशत है। हालांकि इन सबके बीच देश की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से विकास कर रही है. इसकी रफ्तार विश्व के अन्य देशों की तुलना में अधिक तेज है। इसके बावजूद जितने रोजगार की जरूरत है, उस अनुपात में रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं।
सकल घरेलू उत्पाद की दर (जीडीपी) बेहतर इसलिए है क्योंकि निवेश से व्यापार तो बढ़ रहा है लेकिन, रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल करीब 11 मिलियन रोजगार के अवसर पैदा होने थे, जो नहीं हो पाए। जानकारों का कहना है कि जब तक आधारभूत क्षेत्रों में निवेश नहीं होगा, तब तक यह समस्या बनी रहेगी।