मध्य प्रदेश में 16 मार्च को भाजपा ने बहुमत साबित करने को लेकर राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष से फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की है। इस बीच मध्यप्रदेश में राजनीतिक स्थिति पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि प्लोर टेस्ट नहीं हो सकता है क्योंकि 19 विधायकों द्वारा प्रस्तुत इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए हैं। गुरुवार को दिग्विजय सिंह ने कहा कि राज्य की कमलनाथ सरकार 'फ्लोर टेस्ट' के लिए तैयार हैं, लेकिन जब तक विधायकों के इस्तीफों पर फैसला नहीं होगा, फ्लोर टेस्ट कैसे होगा।
विधानसभा अध्यक्ष के सामने आना होगा
उन्होंने कहा कि जिन विधायकों ने इस्तीफे दिए हैं उन्हें शारीरिक रूप से विधानसभा अध्यक्ष के सामने आना चाहिए और खुद के लिए बोलना चाहिए। इन विधायकों को भाजपा ने बंधक बना रखा है। जब तक विधायक स्वयं अध्यक्ष के सामने उपस्थित नहीं होंगे, इस्तीफे पर फैसला कैसे लिया जा सकता है।
कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा देने के बाद भाजपा का दामन थाम लिया। इसके साथ ही 22 विधायकों ने इस्तीफा देकर कमलनाथ सरकार की राह मुश्किल कर दी है। एक तरफ कांग्रेस नाराज विधायकों को मनाने की कोशिश में है, जबकि दूसरी तरफ अन्य विधायकों को भोपाल से जयपुर शिफ्ट किया गया है।
अध्यक्ष का फैसला अहम
बता दें कि 230 सदस्यीय मध्यप्रदेश विधानसभा में अभी दो सीटें खाली है। कांग्रेस के 114 विधायक हैं, 22 विधायकों के इस्तीफे से उसकी संख्या घटकर 92 रह जाएगी। चार निर्दलीय और सपा-बसपा के तीन विधायकों का कांग्रेस को समर्थन है। लेकिन तीन निर्दलीय और सपा-बसपा के दो विधायक पाला बदल सकते हैं। भाजपा के 107 विधायक हैं। ऐसे में फ्लोर टेस्ट होता है तो भाजपा का पलड़ा भारी दिखाई देता है, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा, इसी का कांग्रेस को इंतजार है।