आने वाले महीनों में उत्तराखंड में चुनाव होने वाले हैं। लेकिन इसी बीच कांग्रेस के कद्दावर नेता और उत्तराखंड में कांग्रेस का सबसे लोकप्रिय चेहरा हरीश रावत ने ट्वीट कर हाईकमान से अपनी नाराजगी जाहिर की है।
उन्होंने अपने ट्वीट में अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस आलाकमान के रवैये पर उंगली उठाई है। राजनीती पंडित इसे रावत के रिटायरमेंट से भी जोड़कर देख रहे हैं।
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "है न अजीब सी बात, कि चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है और सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है।"
उन्होंने खुद की पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा, "जिन लोगों ने तैरने का आदेश दिया है, उनके प्रतिनिधि मेरे हाथ-पैर बांध रहे हैं। मुझे लगा था कि अब बहुत हो गया, तुम काफी तैर चुके हो और अब आराम करने का समय आ गया है। असमंजस में हूं, शायद नया साल मुझे राह दिखाए।"
हालांकि रावत ने अपने ट्वीट में उत्तराखंड सरकार पर हमला भी किया। उन्होंने लिखा, "राज्य के लोगों को गुमराह करने के लिए झूठा डेटा फैलाया जा रहा है। मैं इस सरकार पर बेरोजगार विरोधी, युवा विरोधी और युवाओं का शोषण करने वाली सरकार पर आरोप लगाता हूं। इससे राज्य में सामाजिक तनाव पैदा हो रहा है। जब राज्य की सकल विकास दर में गिरावट होगी तो रोजगार कैसे पैदा होंगे।"
गौरतलब है कि इससे पहले भी राजनीतिक स्थिरता पर हरीश रावत का ट्वीट सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया था। उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्री के ट्वीट पर अलग-अलग मायने निकाले जा रहे थे। दरअसल हरीश रावत ने ट्विटर पर लिखा था कि 'मेरे मन में हमेशा शंका रहती है कि राजनीतिक स्थिरता कैसे पैदा हो'। उन्होंने लिखा कि 'मेरे मन में आता है कि उत्तराखंड में राजनीतिक स्थिरता कैसे रहे'। हरीश रावत ने अपने ट्वीट में यह भी लिखा कि 'उत्तराखंड के अंदर राजनैतिक अस्थिरता पहले दिन से ही हावी रही है'।