केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हाल में एससी/एसटी एक्ट पर लिए गए उसके फैसले की वजह से कानून के प्रावधान कमजोर हो गए हैं। जिसके परिणामस्वरूप देश को भारी क्षति हुई। इसे सही करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। केंद्र ने कहा कि शीर्ष अदालत ने एक बहुत ही संवेदनशील प्रकृति के मुद्दे पर विचार किया था
केंद्र ने कहा सर्वोच्च न्यायालय ने एक बहुत ही संवेदनशील प्रकृति के मुद्दे पर विचार किया था और इसके फैसले ने देश में बेचैनी, क्रोध, असहजता और कटुता का भाव पैदा कर दिया
अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में लिखित दलील में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से भ्रम की जो स्थिति पैदा हुई है उसे निर्णय पर पुनर्विचार करके और निर्देशों को वापस लेकर सही किया जा सकता है।
Central govt files written reply in Supreme Court over the judgement regarding SC/ST Act, states, 'It is submitted that the confusion created by this judgment may have to be corrected by reviewing the judgment and recalling the directions issued by this Honorable Court.' pic.twitter.com/lscZsRJdAB
— ANI (@ANI) April 12, 2018
उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने अपने फैसले से अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की खामियों को दूर नहीं किया बल्कि न्यायिक कानून के जरिए उसमें संशोधन किया। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका में शक्तियों का विभाजन किया गया है वह अनुल्लंघनीय है।
केद्र सरकार का यह प्रतिवेदन दो अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों के भारत बंद के दौरान हुई हिंसा के बाद आया है। इस दौरान हुई हिंसा में दस से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।