नये कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 40 दिनो से धरना दे रहे किसानो के प्रति सहानुभूति जताते हुये राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने कहा है कि केन्द्र सरकार को हठधर्मिता का त्याग करने के लिये एक न एक दिन मजबूर होना पड़ेगा।
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने गुरूवार को कहा कि केन्द्र सरकार से किसानों की आठवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा साबित हुयी। सरकार की हठधर्मिता के कारण देश के किसान 40 दिन से खुले आसमान के नीचे धरना दे रहे हैं। किसानों के लिए परीक्षा की घड़ी है क्योंकि उन्हे मौसम की भयावह मार भी झेलनी पड रही है मगर यह निश्चित है कि देश के किसान इस परीक्षा में सफल होंगे।
अनिल दुबे ने कहा कि 40 दिन से किसानों को अदालत के मुकदमे की तरह तारीख पर तारीख देकर भ्रमित किया जा रहा है ताकि किसान इस भीषण ठंड के मौसम में थक हारकर अपने घरों को वापस चले जाएं और सरकार पूंजीपतियों की हितैषी बनी रहे। सरकार के प्रतिनिधियों ने कृषि कानूनों के समर्थन में फर्जी किसान संगठनों को भी तैयार किया मगर यह भितर घात भी किसान संगठनों के मनोबल को कम नही कर सका।
रालोद नेता ने कहा कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद से देश आर्थिक तंगी से गुजर रहा है,लोगो के पास अपने बच्चों की स्कूल की फीस जमा करने तक के पैसे नहीं है जो किसानों के भुगतान समय पर होने चाहिए थे वे नहीं हो पा रहे हैं किसान बिजली का बिल भी नहीं चुका पा रहे है।
उन्होंने कहा कि देश में लगभग 200 से 250 कारपोरेट घराने है और उनमें से केवल चार या पांच ही मुख्य खिलाड़ी है जिन्होंने भाजपा के सत्ता में आने के बाद सबसे अधिक लाभ उठाया है और वो लोग सरकार चला रहे है जो कानून बनाये जा रहे है, उनके पीछे इनकी ही ताकत है लेकिन सरकार और पूंजीपतियों को पर्दे के पीछे के खेल बंद करके किसानों के आगे झुकना ही होगा।