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जानिए, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या बोले 'इच्छा मृत्यु' की गुहार लगाने वाले

आज सुप्रीम कोर्ट ने ‘इच्छा मृत्यु’ मामले में बड़ा फैसला सुनाया। इस मामले पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट...
जानिए, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या बोले 'इच्छा मृत्यु' की गुहार लगाने वाले

आज सुप्रीम कोर्ट ने ‘इच्छा मृत्यु’ मामले में बड़ा फैसला सुनाया। इस मामले पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने कुछ दिशा-निर्देशों के साथ ‘इच्छा मृत्यु’ की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने कहा कि मनुष्य को सम्मान के साथ मरने का अधिकार है। कोर्ट के फैसले के बाद ‘इच्छा मृत्यु’ की मांग करने वाले लोगों ने इस फैसले को सही बताया है।

फैसले की तारीफ

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मस्कुलर डायस्ट्रोफी रोग से पीड़ित अनामिका मिश्रा ने इस फैसले की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि वह 2014 में ‘इच्छा मृत्यु’ की मांग कर चुकी हैं। इसके बाद पीएम मोदी ने इस बारे में संज्ञान लिया और स्थानीय अधिकारियों को मामले में जांच के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का अच्छा फैसला है। अनामिका मिश्रा को उम्मीद है कि अब वह स्वेच्छा से दुनिया को अलविदा कह सकेंगी।

<blockquote class="twitter-tweet" data-lang="en"><p lang="en" dir="ltr">I had requested for mercy killing in 2014 &amp; PM Modi took cognizance of the same &amp; had told local officers to look into the matter. SC has taken a good decision, we&#39;ve hope now: Anamika Mishra, patient of Muscular Dystrophy on SC&#39;s verdict on <a href="https://twitter.com/hashtag/Euthanasia?src=hash&amp;ref_src=twsrc%5Etfw">#Euthanasia</a> <a href="https://t.co/L59jXAbCNM">pic.twitter.com/L59jXAbCNM</a></p>&mdash; ANI (@ANI) <a href="https://twitter.com/ANI/status/972012946346971136?ref_src=twsrc%5Etfw">March 9, 2018</a></blockquote>

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फैसले से खुश नहीं

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को जहां ऐतिहासिक बताया जा रहा है। वहीं, सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग करने वाला एक बुजुर्ग जोड़ा इससे खुश नहीं है। इच्छा मृत्यु की मांग करने वाले मुंबई के नारायण लावटे (87) और उनकी पत्नी इरावती (78) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।

लवाटे ने कहा, 'हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। 75 साल की उम्र पूरी कर चुके बुजुर्गों को भी इसका (यूथेनेशिया और लिविंग विल) का अधिकार मिलना चाहिए। डॉक्टर या पुलिस से ऐसे लोगों की जानकारी की पुष्टि कराई जा सकती है। सरकार को इस संबंध में एक नीति के साथ आगे आना चाहिए।' 

<blockquote class="twitter-tweet" data-lang="en"><p lang="en" dir="ltr">We&#39;re not fully satisfied with SC&#39;s judgement. People above the age of 75 should be given this right. They can verify the details of these people from the police &amp; doctors. Govt should come up with a policy: Mr &amp; Mrs Lavate, who had asked for <a href="https://twitter.com/hashtag/Euthanasia?src=hash&amp;ref_src=twsrc%5Etfw">#Euthanasia</a> <a href="https://t.co/MtmBgVCa23">pic.twitter.com/MtmBgVCa23</a></p>&mdash; ANI (@ANI) <a href="https://twitter.com/ANI/status/972013655717044224?ref_src=twsrc%5Etfw">March 9, 2018</a></blockquote>
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एक महत्वपूर्ण फैसला

साथ ही, लक्ष्मी यादव ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण फैसला है। यह उन लोगों के लिए बहुत ही सही फैसला है, जो लोग स्वेच्छा से शांति और इज्जत के साथ मरना चाहते हैं। लक्ष्मी यादव ने प्रधानमंत्री और और राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग की थी।

<blockquote class="twitter-tweet" data-lang="en"><p lang="en" dir="ltr">This is a monumental verdict. It is good that people can die in peace with some self-respect: Laxmi Yadav, who wrote to Prime Minister &amp; President for <a href="https://twitter.com/hashtag/Euthanasia?src=hash&amp;ref_src=twsrc%5Etfw">#Euthanasia</a> <a href="https://t.co/K0WvKFcYxn">pic.twitter.com/K0WvKFcYxn</a></p>&mdash; ANI (@ANI) <a href="https://twitter.com/ANI/status/972018681600512000?ref_src=twsrc%5Etfw">March 9, 2018</a></blockquote>
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सुप्रीम कोर्ट का ये है फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ‘इच्छा मृत्यु’ याचिका पर सुनवाई करते कहा कि हर व्यक्ति को गरिमा के साथ मरने का अधिकार है और किसी भी इंसान को इससे वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने ‘इच्छा मृत्यु’ के लिए एक गाइडलाइन जारी की है, जो कि कानून बनने तक प्रभावी रहेगी। दीपक मिश्रा की अगुवाई में पांच जजों की संवैधनिक पीठ ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ‘इच्छा मृत्यु’ की मांग करने वाले शख्स के परिवार की अर्जी पर लिविंग विल को मंजूर किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए एक्सपर्ट डॉक्टर्स की टीम को भी यह लिखकर देना होगा कि बीमारी से ग्रस्त शख्स का स्वस्थ होना असंभव है।

क्या है 'लिविंग विल'

'लिविंग विल' एक लिखित दस्तावेज होता है जिसमें कोई मरीज पहले से यह निर्देश देता है कि मरणासन्न स्थिति में पहुंचने या रजामंदी नहीं दे पाने की स्थिति में पहुंचने पर उसे किस तरह का इलाज दिया जाए। 'पैसिव यूथेनेशिया' (इच्छा मृत्यु) वह स्थिति है जब किसी मरणासन्न व्यक्ति की मौत की तरफ बढ़ाने की मंशा से उसे इलाज देना बंद कर दिया जाता है।

गौरतलब है कि चीफ जस्टि दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने पिछले साल 11 अक्टूबर को इस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जिस तरह नागरिकों को जीने का अधिकार दिया गया है, उसी तरह उन्हें मरने का भी अधिकार है।

इस पर केंद्र सरकार ने कहा था कि ‘इच्छा मृत्यु’ की वसीयत (लिविंग विल) लिखने की अनुमति नहीं दी जा सकती, लेकिन मेडिकल बोर्ड के निर्देश पर मरणासन्न का सपोर्ट सिस्टम हटाया जा सकता है।

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