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सख्त हुआ UAPA एक्ट, संशोधन के बाद व्यक्ति को भी घोषित किया जा सकता है 'आतंकी'

लोकसभा में बुधवार को Unlawful Activities (Prevention) Amendment Act- UAPA संशोधन बिल पास हो गया। इस बिल की मदद से सरकार किसी व्यक्ति को...
सख्त हुआ UAPA एक्ट, संशोधन के बाद व्यक्ति को भी घोषित किया जा सकता है 'आतंकी'

लोकसभा में बुधवार को Unlawful Activities (Prevention) Amendment Act- UAPA संशोधन बिल पास हो गया। इस बिल की मदद से सरकार किसी व्यक्ति को ‘आतंकी’ घोषित कर सकती है। हालांकि राज्य सभा से बिल का पास होना बाकी है।

क्या है इस संशोधन बिल में

UAPA एक्ट, 1967 के मुताबिक, सरकार किसी संगठन को पहली अनुसूची में शामिल कर आतंकी संगठन घोषित कर सकती है। इस एक्ट का उद्देश्य देश की अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ होने वाली गतिविधियों पर अंकुश लगाना है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान यह एक्ट लाया गया था। इसमें संशोधन कर एक्ट में चौथी अनुसूची जोड़ी गई है, जिसके तहत व्यक्तियों के नाम भी इसमें शामिल किए जा सकेंगे।

पिछले हफ्ते बिल को लोकसभा में पेश करते हुए गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा था कि जब यूनाइटेड नेशन जमात-उद-दावा चीफ हाफिज सईद को आतंकी घोषित कर सकता है तो भारत व्यक्तियों के साथ ऐसा क्यों नहीं कर सकता।

अर्बन माओवादियों के लिए कोई संवेदना नहीं: अमित शाह

लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि आज समय की मांग है कि आतंकवाद के खिलाफ कठोर कानून बनाया जाए। शाह ने कहा यह कानून इंदिरा गांधी की सरकार लेकर आई थी, हम तो बस इसमें छोटा-सा संशोधन कर रहे हैं लेकिन विपक्ष के जो नेता इसका विरोध कर रहे हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि जब उन्होंने इस बिल में संशोधन किया था वो भी सही था और आज जो हम कर रहे हैं वो भी सही है। उन्होंने कहा, 'सामाजिक जीवन में देश के लिए काम करने वाले बहुत लोग हैं, लेकिन अर्बन माओवाद के लिए जो काम करते हैं उनके लिए हमारे मन में बिल्कुल भी संवेदना नहीं है।'

जनविरोधी है एनआईए संशोधन बिल: टीएमसी

लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने बिल को खतरनाक तथा जनविरोधी करार देते इसे वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि सदन में किसी भी विधेयक का विरोध करने पर विपक्ष के सदस्यों को राष्ट्रविरोधी करार दे दिया जाता है। हमें विपक्ष में रहने की वजह से यह जोखिम क्यों है? उनकी इस बात का बीजेपी के कई सदस्यों ने विरोध किया।

बीएसपी और एनसीपी ने बिल पर उठाए सवाल

बीएसपी के दानिश अली ने जेलों में शक के आधार पर बेगुनाह नौजवानों के लंबे समय तक कैद में रहने की बात कही । उन्होंने कहा कि क्या ऐसे लोगों के बरी हो जाने के बाद सरकार उन्हें कोई हर्जाना देगी। उन्होंने विधेयक को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि इसके दुरुयपोग को रोकने के लिए सरकार ने क्या प्रावधान किए हैं? एनसीपी की सुप्रिया सुले ने कहा कि यूपी सरकार के समय जब नैटग्रिड बनाया जा रहा था तब बीजेपी शासित राज्य आतंकवाद के खिलाफ यूपीए सरकार के कदमों का क्यों विरोध कर रहे थे। वे इसे संघवाद की भावना के खिलाफ बता रहे थे कि सरकार कानून व्यवस्था पर राज्यों के अधिकार वापस लेना चाहती है।

एनसीपी सदस्य ने कहा कि आतंकवाद का मुद्दा यूपीए बनाम एनडीए का नहीं है और इस पर पूरे सदन को एकमत होना चाहिए। हालांकि उन्होंने कहा कि अगर विधेयक के प्रावधानों के आधार पर किसी को केवल शक की बिना पर हिरासत में लिया जाता है तो उसका कारण बताने की क्या समयसीमा होगी। सुले ने भीमा कोरेगांव की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि इस सरकार में कुछ बेगुनाह सामाजिक कार्यकर्ताओं पर भी कार्रवाई की गयी जो गलत है। कार्यकर्ता और आतंकवादी अलग होते हैं। सरकार को सामाजिक कार्यकर्ताओं की बात सुननी चाहिए अगर वे विरोध करते हैं तो भी उनकी बात सुनना लोकतंत्र की खूबसूरती है। उन्होंने कहा कि विधेयक को लागू करते समय सत्ता का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।

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