ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत कुलपति तिवारी ने कहा है कि कुछ लोग जानबूझकर सिर्फ लोकप्रियता पाने के लिए ज्ञानवापी मुद्दे को लेकर यहां से लेकर दिल्ली तक दौड़ रहे हैं। तिवारी ने कहा कि जब जिला स्तर पर मामला अदालत में चल ही रहा है तब यहां की अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में कहा कि वह हिन्दू श्रद्धालुओं की ओर से दायर दीवानी मुकदमे की स्वीकार्यता के सिलसिले में ज्ञानवापी मस्जिद समिति की आपत्तियों पर वाराणसी जिला न्यायाधीश के निर्णय का इंतजार करेगा।
शीर्ष अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिन्दू श्रद्धालुओं की ओर से दायर दीवानी मुकदमे को 20 मई को सीनियर सिविल जज के पास से वाराणसी के जिला न्यायाधीश को स्थानांतरित कर दिया था।
इस मामले पर बातचीत में आम जनमानस से लेकर धर्मगुरुओं की अलग-अलग राय सामने आई है, हालांकि हिंदू-मुसलमान सभी चाहते हैं कि काशी की गंगा-जमुनी तहजीब कायम रहे।
अंजुमन इंतजामिया कमेटी के सचिव मोहम्मद यासीन ने कहा, ''हम जिला अदालत के फैसले का इंतजार कर रहे हैं और यदि फैसला हमारे पक्ष में नहीं आता तब हम उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।'' काशी के आम जनमानस ने भी स्थानीय अदालत में ही सुनवाई और फैसले को प्राथमिकता दी है।
वाराणसी के महमूरगंज निवासी स्वर्ण मुखर्जी ने स्थानीय अदालत में मामले के निपटारे पर जोर देते हुए कहा, ''यह मामला बनारस के हिन्दू-मुस्लिम भाइयों के बीच का है और इसे राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा बनाने की जरूरत नहीं है।''
बाबा बटुक भैरव के महंत विजय पुरी ने कहा, ‘‘बाबा विश्वनाथ ज्ञानवापी में स्वयं प्रकट हुए हैं, इसलिए हिंदुओं के लिए उस स्थान विशेष का महत्व है।'' उन्होंने जोर देकर कहा, ''काशी गंगा-जमुनी तहजीब को मानने वाली रही है, मुस्लिम भाइयों को अपने पूर्वजों की गलती को सुधारने का मौका मिला है, इससे उनको चूकना नहीं चाहिए।''
शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता और हजरत अली मस्जिद कमेटी के सचिव हाजी सैयद फरमान हैदर ने अदालत के फैसले के सम्मान करने का दावा करते हुए कहा, ''हमने तो बनारस के घाटों पर गंगा जल से वजू करके नमाज पढ़ी है। कभी किसी ने नहीं रोका लेकिन आज देश में नमाज पढ़ने पर बवाल हो जा रहा है।'' हैदर ने कहा कि लाठी पीटने से पानी अलग नहीं होगा, काशी हमेशा से गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल रही है। मंदिर मस्जिद के लिए देश का माहौल खराब नहीं करना चाहिए।''
शहर ए मुफ़्ती मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा, ''वरशिप एक्ट (उपासना स्थल अधिनियम) के तहत वैसे तो यह मुकदमा चलने योग्य ही नहीं है, फिर भी अदालत का जो फैसला आएगा वह हमें स्वीकार होगा।''